गौरेला पेंड्रा मरवाही में आदिवासी विभाग का कर्मचारियों पर कहर, मनमानी का लगा आरोप - एकलव्य आवासीय विद्यालय
Tribal department fired daily wage employees victims गौरेला पेंड्रा मरवाही में आदिवासी विभाग ने एकलव्य आवासीय विद्यालयों में काम कर रहे 22 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. ये कर्मचारी अब न्याय की गुहार लगा रहे हैं. हालांकि इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. वहीं, आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त भी मामले में कर्मचारियों की शिकायत पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. विभाग पर मनमानी का आरोप लग रहा है.
आदिवासी विभाग ने निकाले 22 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी
गौरेला पेंड्रा मरवाही:कई ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर देखा जाता है कि गांव के भोले भाले लोगों को नौकरी का लालच देकर उनसे अधिक रकम ऐंठ लिए जाते हैं. ऐसे मामलों में कई लोग अपने घर और जमीन को गिरवी रखकर नौकरी के लिए पैसे जमा करवाते हैं. हालांकि बाद में उनको पता चलता है कि वो ठगी का शिकार हो गए हैं. ताजा मामला गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला से सामने आया है. यहां एकलव्य आवासीय विद्यालय डोगरिया, लाटा और नेवसा से 22 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी ऐसे ही ठगी का शिकार हुए हैं.
दरअसल, इन कर्मचारियों से पहले परमानेंट नौकरी के नाम पर पैसा लिया गया फिर अचानक इन्हें काम से निकाल दिया गया. सालों से काम कर रहे कर्मचारी अब अपने जमा किए पैसों की मांग कर रहे हैं. इनका कहना है कि ये पैसे उन्होंने अपनी जमीन बेचकर जमा की थी.इन 22 कर्मचारियों में सफाई कर्मी, रसोइया शामिल हैं. इन्होंने प्रचार्यों पर पैसों की लेनदेन का आरोप लगाया है. इस पूरे मामले में आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त प्राचार्यों का बचाव करते नजर आए.
ये है पूरा मामला:आदिवासी विकास विभाग के अंतर्गत जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही में चल रहे एकलव्य आवासीय विद्यालयों से एक साथ 22 दैनिक वेतन भोगियों को निकाल दिया गया. काम से निकाले जाने की उन्हें सिर्फ यही वजह बताई गई की नई सेटअप में उनसे काम में नहीं लिया जा सकता. यह सभी कर्मचारी 3 से 5 साल से विद्यालयों में अपनी सेवाएं दे रहे थे, जिन्हें विद्यालय प्रशासन ने चौकीदार, चपरासी, प्लंबर, सफाई कर्मचारी, रसोईया जैसे पदों पर रखा था. नौकरी से निकले जाने के बाद सभी कर्मचारी परियोजना प्रशासक कार्यालय पहुंचकर अधिकारियों को अपनी आपबीती बताई. इस पर प्रशासन ने कर्मचारियों की सभी मांग और उनकी बातों को खारिज करते हुए कहा है कि नए सेटअप के अनुसार उन्हें काम पर नहीं रखा जा सकता.
स्थाई नौकरी के लिए दी मोटी रकम:इधर काम से निकाले जाने के बाद पीड़ित कर्मचारियों ने एकलव्य आवासीय विद्यालयों के प्राचार्य पर आरोप लगाया कि जब उन्हें नौकरी में रखा गया था, तब प्राचार्य ने उनसे नौकरी के एवज में मोटी रकम ली थी. किसी से ₹100000 किसी से 80000 किसी ने डेढ़ लाख रुपए देकर नौकरी पाई थी. हालांकि इन्हें मिलने वाला मानदेय भी काफी कम था. पर नौकरी में स्थाई करने के एवज में सभी ने रुपए दिए थे.
आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त कर रहे प्रचार्यों का बचाव:ग्रामीणों की मानें तो वे यह पैसे जमीन बेचकर, जमीन गिरवी रखकर, किसी से उधार पैसा लेकर जमा किए थे. अब नौकरी से निकाले जाने के बाद सभी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. उनका कहना है कि अब जब उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है. तो कम से कम उनका पैसा ही वापस कर दिया जाए. पूरे मामले में आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त और परियोजना प्रशासक का कहना है कि नए सेटअप के अनुसार इन्हें अब काम पर नहीं रखा जा सकता. वहीं, इस पूरे मामले में आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त प्राचार्यों का बचाव करते नजर आए.