गरियाबंद:छत्तीसगढ़ में दिवाली का त्योहार नजदीक आते ही सुआ डांस करने वाली बालिकाओं की टोलियां अब शहर और गांव में नजर आने लगी है. ये युवतियों की टोली छत्तीसगढ़ की परंपरा को जिंदा रखा है. शहर के लोग सुआ नृत्य के बारे में ज्यादातर नहीं जानते, लेकिन गांव की बच्चियां आज भी दिवाली त्योहार के पहले सुआ नृत्य करने निकलती हैं.
दिवाली त्योहार में नृत्य के लिए जमीन पर बीच में एक टोकरी में नकली तोता और एक दीप जलाकर रखा जाता है. साथ ही गौरा-गौरी की प्रतिमा भी रखी जाती है. गांव के हर घर के दरवाजे पर यह बालिकाएं जाकर सुआ नृत्य करती हैं. वहां से कच्चा धान या कुछ दान प्राप्त कर लौटती हैं. दिनभर में एकत्रित राशि लेकर बाद में इसी राशि से गौरा- गौरी 2 दिन बाद पूजा कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, जिस कार्यक्रम के लिए सजावट के लिए सामान इन पैसों से खरीदा जाता है.
20 बछर के छत्तीसगढ़: सुआ नृत्य में झूमते-झूमते जब महानदी की लहर उठे, समझ जाइएगा छत्तीसगढ़ है
सुआ नृत्य करने वाली युवतियों की टोली