गरियाबंद:अभनपुर-देवभोग (नेशनल हाई-वे 130 सी) पर 24 घंटे में दो ट्रक हादसे का शिकार हो गया. एक हादसे में ट्रक अनियंत्रित होकर फुलझर घाटी में जा गिरा. वहीं दूसरे हादसे में बरदुला के पास ट्रक पेड़ से जा टकराया. दोनों ही हादसे में ट्रक चालक और हेल्पर गंभीर रूप से घायल हो गया. सभी का इलाज चल रहा है. पुलिस दोनों मामले की जांच में जुट गई है.
गरियाबंद में 24 घंटे में दो ट्रक हादसे का शिकार, एक खाई में गिरा तो दूसरा पेड़ से टकराया
गरियाबंद में नेशनल हाई-वे 130c (अभनपुर-देवभोग) पर 24 घंटे में दो ट्रक हादसे का शिकार हो गया. एक हादसे में ट्रक अनियंत्रित होकर फुलझर घाटी में जा गिरा. वहीं दूसरे हादसे में ट्रक पेड़ से टकरा गया. दोनों हादसे में चालक और हेल्पर गंभीर रूप से घायल हो गया. पुलिस दोनों मामले की जांच में जुट गई है.
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दोनों घटनाएं मैनपुर थाना क्षेत्र की
जानकारी के अनुसार दोनो घटनाएं मैनपुर थाना क्षेत्र की है. पहली घटना नेशनल हाई-वे पर फुलझर घाटी (Phuljhar Valley) में हुई. जहां अमलीपदर से महुआ लोड कर रायपुर जा रहा ट्रक अनियंत्रित होकर खाई में जा गिरा. घटना में ट्रक का अगला हिस्सा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया. वहीं दूसरी घटना बरदुला के पास हुई. रायपुर से खाद लेकर देवभोग जा रहा ट्रक अचानक अनियंत्रित होकर सड़क से नीचे उतरकर पेड़ से टकरा गया. दोनों हादसों में वाहन चालक और हेल्पर घायल हो गए. मैनपुर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर सभी घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया है.
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सिंगल लेन की वजह से होती दुर्घटनाएं
नेशनल हाई-वे होने के बावजूद मैनपुर से देवभोग सिंगल रोड है. इसके कारण अक्सर हादसे होते रहते हैं. सड़क की कम चौड़ाई के चलते सामने से आने वाले वाहन को साइड देने के लिए वाहनों को सड़क से उतारना पड़ता है. ऐसे में कई बार गति अधिक होने या बगल में हाई होने पर वाहन दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं. बीते कुछ सालों में सड़क पर आवागमन बढ़ा है. जिसे देखते हुए इससे नेशनल हाई-वे घोषित किया गया है. घोषणा के 3 साल होने को है. इसके बावजूद हाई-वे के हिसाब से ना तो इस सड़क की चौड़ाई है और ना ही इसपर मरम्मत की व्यवस्था की गई है. सड़क मैनपुर से 6 किलोमीटर आगे निकलने पर झरिया बहारा सहित देवभोग तक लगभग 90 किलोमीटर सिंगल लेन है. इस सड़क चौड़ा करने का प्रस्ताव काफी पहले आया था. स्वीकृत होने के बाद भी अबतक निर्माण काम शुरू नहीं हुआ है. इसके पीछे सड़क के अगल-बगल लगे पेड़ों की संख्या अधिक होने और उन्हें काटने की अनुमति नहीं मिलने को कारण बताया जाता है.