गरियाबंद: कहते हैं किसी अपने को खो देने के बाद सिर्फ उनकी यादें रह जाती है, लेकिन हम आज आपको ऐसे गांव में लेकर आए हैं, जहां अपनों को खो देने के बाद उनकी यादें ऐसे संजोयी जाती हैं कि पीढ़ियां भी नहीं भूलती.
पर्यावरण प्रेम की अनूठी मिसाल हम बात कर रहे हैं गारियाबंद जिले के कोपरा गांव की. जहां के लोगों ने अपनों को खो देने के बाद उन्हें पेड़ों के रूप में जिंदा रखते हैं. इन पेड़ों में हजारों लोगों की सांस चल रही है, यादें बसी हैं और लोग पूर्वजों को खुद से जुड़ा महसूस करते हैं.
पर्यावरण के सरंक्षण के लिए कर रहे काम
कोपरा गांव के लोग मृत्यु के बाद उनसे बिछड़ते नहीं बल्कि घर-आंगन में अपनों को आशीर्वाद देने के लिए बस जाते हैं. इस कार्य को कई साल से लगातार वृक्ष मित्र ग्रुप करता आ रहा है. इस गांव में किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसके नाम से पौधा लगाया जाता है. 'वृक्ष मित्र ग्रुप के संथापक प्रणय साहू का कहना है कि, पर्यावरण के सरंक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं. उनके ग्रुप के लोग मृतकों को पौधे लगाकर श्रद्धांजलि देते हैं.'
वृक्ष मित्र ग्रुप गांव में पौधा लगाते हुए इस काम से प्रभावित होकर जुड़ रहे हैं लोग
कोपरा गांव में हो रहे इस नेक पहल से प्रभावित हो कर हर दिन लोग जुड़ते जा रहे हैं और पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरुक हो रहे हैं. वृक्ष मित्र ग्रुप के ओर से उनके याद में पेड़ लगाया जाता है और वृक्ष मित्र ग्रुप के लोग उस पेड़ का देख-रेख करते है, इसके साथ-साथ गांव में स्वच्छता की ओर जागरुकता लाने के लिए गांव के दीवारों में चित्रकारी कर संदेश देते हुए गांव को स्वच्छ बनाया जा रहा हैं.
चाचा के नाम से लगाया गया पेड़
कुछ दिनों पहले गांव के ही एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. जिसके बाद उनके परिवार के लोगों ने वृक्ष मित्र ग्रुप के लोगों के साथ मिलकर उनके नाम से वृक्षारोपण किया और उस पेड़ की देखभाल करने की जिम्मेदारी ली.
अभी तक लगा चुके कई हजार पेड़
वृक्ष मित्र ने अभी तक गांव कई हजार पेड़ लगा चुके है. उनका कहना है कि पर्यावरण को संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है. गांव में मृतकों के नाम के साथ-साथ शुभ कार्यों में भी पौधा लगाया जाता हैं. गांव में सड़क किनारे और नदी-तालाब के किनारे पौधा लगा रहे हैं.