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छठवीं क्लास के छात्र ने महज़ 30 रुपए में तैयार किया जेसीबी का मॉडल, भविष्य में इंजीनियर बनने का सपना - मनीष ने बनाया जेसीबी मशीन

गरियाबंद जिले के खुटेरी पंचायत के आश्रित गांव खुडियाडीह में रहने वाले मनीष ने 30 रुपए में जेसीबी मशीन का मॉडल तैयार किया है. मनीष की उम्र मात्र 12 साल है. वो कक्षा 6वीं में पढ़ता है. मनीष के पिता मजदूरी करते हैं. मनीष ने मोबाइल की मदद से जेसीबी मशीन का मॉडल बनाया है.

Jcb machine model
6वीं कक्षा में पढ़ाई करता है मनीष

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Published : Jul 31, 2020, 9:06 AM IST

गरियाबंद: देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. बस जरूरत है प्रतिभाओं को पहचानने की और उन्हें सही मौका देने की. ऐसा ही एक प्रतिभावान छात्र गरियाबंद जिले के खुडियाडीह में है, जिसका नाम है मनीष निषाद. मनीष ने सिर्फ 30 रुपए में जेसीबी मशीन का मॉडल तैयार किया है. ये मॉडल जेसीबी की तरह काम कर सकता है. इस मॉडल की खासियत है कि ये मिट्टी की खुदाई कर सकता है और उसे एक स्थान से उठाकर दूसरे स्थान पर रख सकता है.

मनीष कक्षा 6वीं में पढ़ता है. मनीष ने अपने मॉडल के बारे में बताया कि उसने महज 30 रुपए खर्च करके इसे केवल एक दिन में तैयार किया है. उन्होंने बताया कि यह किसी असली JCB मशीन की तरह काम करता है. मनीष ने बताया कि वह इससे पहले क्रेन भी बना चुका है. उसने कहा कि उसे नई-नई चीजें बनाने का शौक है और वह बड़ा होकर इंजीनियर बनना चाहता है.

6वीं कक्षा में पढ़ाई करता है मनीष

मनीष के पिता करते हैं मजदूरी

मनीष फिंगेश्वर विकासखंड की खुटेरी पंचायत के आश्रित गांव खुडियाडीह का निवासी है. मनीष एक सामान्य परिवार से आता है. मनीष के पिता तुलसीराम निषाद मजदूरी करके अपना परिवार चलाते हैं और उनकी मां टुकेश्वरी घर संभालती हैं. इसके अलावा उसका छोटा भाई टेमन फिलहाल प्राइमरी स्कूल में पढ़ता है. मनीष को इन कलपुर्जों की जानकारी देने वाला कोई नहीं है. वह मोबाइल के माध्यम से ऐसी तकनीकों को बारीकी से देखता है और फिर उसे खुद तैयार करने की कोशिश करता है. जेसीबी मशीन का मॉडल भी उन्होंने यूटयूब से देखकर तैयार किया है. गांव के पंचायत सचिव नूतन साहू ने मनीष का ये मॉडल सोशल मीडिया पर शेयर किया है.

30 रुपये में तैयार किया जेसीबी मशीन का मॉडल

जिम्मेदारों से मदद की आस

मनीष ने छोटी उम्र में अपने इरादों को साफ कर दिया है. उसका सपना इंजीनियर बनकर देश के लिए नई तकनीकों को विकसित करना है, लेकिन परिवार की गरीबी और संसाधनों की कमी उसके रास्ते में दीवार बनकर खड़ी है. अब इन परिस्थितियों में जिम्मेदारों से आस है कि वे मनीष की मदद के लिए आगे आएं.

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