गरियाबंद: दुनिया किडनी दिवस मना रही है. तेजी से विकसित होती मेडिकल फैसिलिटीज ने इस बीमारी से लड़ने के लिए हमें तमाम विकल्प दिए हैं लेकिन छत्तीसगढ़ में एक ऐसा बदनसीब गांव है, जहां के लोग किडनी की बीमारी को अभिशाप मानते हैं. गरियाबंद जिले के सुपुबेड़ा गांव में 70 से ज्यादा लोग इस बीमारी की वजह से काल के गाल में समा चुके हैं. 150 के करीब लोग बीमार हैं. गांव के लोगों का कहना है कि यहां के पानी में कुछ ऐसे तत्व हैं, जिसके चलते उन्हें यह बीमारी हो रही है. शायद यही वजह है कि गांव के हैंडपंप के पास प्रशासन ने पानी का उपयोग नहीं करने का बैनर लगाया हुआ है.
सुपेबेड़ा के हर घर में किडनी के मरीज
सरकारें आई और चली गई लेकिन सुपेबेड़ा के लोगों का दर्द कम नहीं हुआ. हां ये जरूर हुआ कि सुपेबेड़ा को राजनीतिक पार्टियों ने मुद्दा बनाया. ग्रामीणों का आरोप है कि अब तक उनके गांव को साफ पीने का पानी नसीब नहीं हो रहा है. लोगों ने बताया कि गांव से सिर्फ 2 किलोमीटर की दूरी पर तेल नदी है. जिसका पानी गांववालों को मुहैया कराने की कई बार मांग की गई लेकिन इस पर अब तक कार्रवाई नहीं हो सकी. 2 साल पहले सरकार के दो मंत्री भी सुपेबेड़ा पहुंचे थे. मंत्रियों ने 2 साल के अंदर तेल नदी का पानी गांव तक पहुंचाने की बात कही थी. जो काम अभी तक पूरा नहीं हुआ है.
World Kidney Day: किडनी मरीजों की कहानियां, साथ ही इस जानलेवा बीमारी से बचने के उपाय
किडनी की बीमारी से कई परिवार उजड़े
सुपेबेड़ा में अब 50 से ज्यादा महिलाओं की दुनिया उजड़ चुकी है. इन महिलाओं के पास अब आय का कोई खास जरिया नहीं है. इनकी जिंदगी किसी संघर्ष से कम नहीं है. पति की मौत के बाद शासन से इन्हें मुआवजा तो मिला लेकिन वो भी इतना कम कि उससे कुछ ही दिनों का गुजारा चल पाया.
ना बेटी दे रहे हैं ना बेटी ले रहे हैं
गांव के लोग अब इस पूरे मामले में इस बात से भी ज्यादा परेशान हैं कि दूसरे गांव के लोग ना तो इस गांव में बेटी देना चाहते हैं ना ही इस गांव की बेटी को कोई बहू बनाना चाहता है. किडनी की बीमारी से दोनों स्थितियों में मौत का डर बना रहता है. यही कारण है कि इस गांव में कुंवारों की संख्या बढ़ती जा रही है. कई लड़कियां शादी लायक हो चुकी हैं. लेकिन उनसे रिश्ता करने को कोई तैयार नहीं है. सालों से सूपेबेड़ा में शहनाई भी नहीं गूंजी है.
विरासत में मिल रही किडनी की बीमारी