गरियाबंद:पूर्व मुख्यमंत्रीअजीत जोगी का शुक्रवार दोपहर को निधन हो गया. अजीत जोगी ने अपनी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन उनका हौसला ही था कि उन्होंने हर चुनौती का सामना डटकर किया. जिंदगी की सबसे बड़ी और दुखद घटनाओं में से एक घटना उनके साथ गरियाबंद में हुई थी.
सड़क दुर्घटना के शिकार हुए थे अजीत जोगी बता दें कि इस घटना ने उन्हें एक तरह से तोड़कर रख दिया था. हम बात कर रहे हैं उस सड़क दुर्घटना की, जिसने उन्हें हमेशा के लिए व्हील चेयर पर ला दिया. इस दुर्घटना के बाद अजीत जोगी अपने पैरों पर कभी खड़े नहीं हो सके. बात 16 साल पहले की है, 4 अप्रैल 2004 जब लोकसभा चुनाव के लिए वे दौरे पर निकले थे. इस दौरान अजीत जोगी की गाड़ी के ड्राइवर को गरियाबंद से मैनपुर जाते समय झपकी आ गई और गाड़ी एक पेड़ से टकरा गई. ये दुर्घटना धवलपुर इलाके में हुई थी. यहां के लोगों को ये दुर्घटना आज भी याद है.
इस घटना के वक्त अजीत जोगी पीछे की सीट पर सो रहे थे. ये घटना रात 2 बजकर 30 मिनट के आसपास घटी थी. घटना की सूचना जब राहगीरों ने पास के गांव धवलपुर में दी, तो लोगों के बीच काफी लोकप्रिय होने के चलते मिनटों में ही घटनास्थल पर भीड़ इकट्ठा हो गई. तत्काल बचाव कार्य किया गया. दुर्घटनाग्रस्त वाहन से जोगी को निकालकर गरियाबंद भेजा गया.
बता दें कि गरियाबंद के अस्पताल में इतनी सुविधा नहीं थी कि गंभीर रूप से घायल अजीत जोगी का इलाज किया जा सके. डॉक्टर ने उन्हें रायपुर ले जाने की सलाह दी. अजीत जोगी के कमर और पैर की कई हड्डियां टूट चुकी थीं. प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि उस वक्त जोगी होश में नहीं थे, फिर भी वो हेलीकॉप्टर मंगवाने की बात कह रहे थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह को फोन लगाने की बात कह रहे थे.
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फिर लौटे जोगी
घायल अजीत जोगी को गरियाबंद के डॉक्टर ने रायपुर तक ले जाने के लिए तैयार किया, ताकि रास्ते में कोई दिक्कत ना हो. उस वक्त के रायपुर के डॉक्टर ने गरियाबंद के डॉक्टर की तारीफ की थी. कुछ दिन तक रायपुर में इलाज चलने के बाद उन्हें दिल्ली ले जाया गया और वहां सालभर तक चले इलाज के बाद वे व्हील चेयर पर वापस लौटे, मगर उनके हौसलों में कोई कमी नहीं थी. इस दौरान अजीत जोगी महासमुंद से सांसद का चुनाव जीत गए.
लोगों की यादों में आज भी हैं जिंदा
अब अजीत जोगी हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उन्होंने छत्तीसगढ़ के लिए जो किया, उसे आज भी यहां के लोग खूब याद करते हैं. लोग कहते हैं कि उनके समय में गरीबों की कोठी में भी अनाज भरा रहता था. लोग आज काफी दुखी हैं. अजीत जोगी को उनके कार्यों से याद कर रहे हैं. बुजुर्ग बताते हैं कि मनरेगा योजना पहले नहीं हुआ करती थी, मगर अजीत जोगी ने इससे बढ़कर एक ऐसी योजना चलाई थी जिससे लोगों के घर में अनाज भर गया था. गांव में हर 20-25 खेत के बीच में छोटे तालाबनुमा डबरी खोदने का कार्य करवाया जाता था. धीरे से उन छोटे तालाबों का नाम ही जोगी डबरी पड़ गया. यहां काम करने वालों को सरकार पैसे नहीं देती थी. किसानों से खरीदा हुआ धान का चावल सीधे लोगों को बेचा जाता था.
रह गया काम
3 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के बाद कांग्रेस चुनाव हार गई. बीजेपी सत्ता में आई और रमन सिंह नए मुख्यमंत्री बने. सत्ता अजीत जोगी के हाथ से चली गई, तब गरियाबंद दौरे पर उन्होंने बेबाक राय रखते हुए कहा था कि मुझे हमेशा पीड़ा रहेगी कि गरियाबंद की धरती में हीरा है और उसका खनन करवाकर प्रदेश के लोगों को उसका लाभ नहीं दिलवा पाए. जोगी का कहना था कि अगर सही तरीके से गरियाबंद का हीरा बाहर निकलता, तो छत्तीसगढ़ को देश का पहला टैक्स फ्री स्टेट बना सकते थे, जहां किसी को कोई टैक्स नहीं देना होता, लेकिन उनका ये सपना अधूरा ही रह गया.