गरियाबंदः छत्तीसगढ़ में नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों द्वारा आत्महत्या के एक और मामले ने यह सवाल फिर खड़े कर दिया है. नक्सलियों को हर मोर्चे पर धूल चटाने वाले फौलादी जवान आखिर आत्महत्या के लिए मजबूर (forced to commit suicide) क्यों हो रहे हैं?
बुधवार को गरियाबंद में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया, जिसमें दरी पारा सीआरपीएफ कैंप (Dari Para CRPF Camp) में 65 वीं बटालियन के असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर उदयवीर सिंह ने आत्महत्या कर ली. उन्होंने एके-47 राइफल से लेट कर गले के नीचे से खुद को गोली मार ली. बताया जा रहा है कि ईएसआई उत्तर प्रदेश के एटा जिले के रहने वाले थे और कुछ दिन पहले छुट्टी से लौटे थे. 2 दिन बाद फिर छुट्टी पर जाने वाले थे.
नक्सल मोर्चे पर तैनात जवान कर रहे हैं आत्महत्या पड़ताल में एक महत्वपूर्ण तथ्य यह सामने आया कि अपने परिवार से सैकड़ों और हजारों किलोमीटर दूर विभिन्न तरह की परिस्थितियों के बीच नक्सल मोर्चे पर तैनात जवान (
jawans posted on naxal front) और पुलिस अधिकारियों द्वारा आत्महत्या का यह कोई पहला मामला नहीं है. इसके पहले बस्तर इलाके के सुकमा दंतेवाड़ा बीजापुर कांगेर समेत कई जिलों में इस तरह की घटनाएं सामने आती रही हैं. इसके पीछे के कारण की अगर बात करें तो परिवार से लंबे समय तक दूर रहने के चलते जवान कई बार परिवार की समस्याओं की चिंता के चलते परेशान रहते हैं. इसके अलावा कई बार छोटी-मोटी घटनाएं भी, पहले से परेशान जवानों को ऐसा बड़ा कदम उठाने के लिए ट्रिगर कर जाती हैं.
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पहले भी सामने आ चुके हैं कई मामले
हालांकि, गरियाबंद जिले में जवानों द्वारा आत्महत्या के मामले कम ही सामने आए हैं. 2 साल पहले खोपरा के एक पुलिस जवान ने किराए के अपने मकान में अपनी सर्विस राइफल इनसास से पहले अपनी पत्नी को गोली मारी. फिर स्वयं आत्महत्या कर ली थी. इसके पहले करीब 6 साल पहले भी एक जवान द्वारा फांसी लगाकर आत्महत्या करने की घटना हुई थी. ज्यादातर मामलों में घटना के पीछे कारण अज्ञात बताया जाता है. जिसके बाद कारण का कभी खुलासा नहीं हो पाता.
गरियाबंद में जवान के आत्महत्या मामले में पता चला है कि वह पिछले 10 दिनों से अन्य साथियों से बातचीत कम कर रहे थे. उन्होंने इतना बड़ा कदम क्यों उठाया? इसका खुलासा अभी नहीं हो पाया है. घटना के बाद जिले के एसपी जेआर ठाकुर ने तत्काल कैंप का दौरा किया. परिस्थितियों को देखा. वहीं, उनके परिजनों को बुलाकर शव पोस्टमार्टम के बाद उन्हें सौंप दिया गया.