गरियाबंद: प्रदेश में इन दिनों पंचकोशी यात्रा चल रही है. जो लोग किसी कारणवश चारधाम यात्रा पर नहीं जा पाते वे इस यात्रा में शामिल होते हैं. कहा जाता है कि छत्तीसगढ़ में होने वाली इस यात्रा में चारों धाम का फल मिलता है.
पंचकोशी यात्रा से मिलेगा पुण्य 5 शिवलिंगों के करते हैं दर्शन
हजारों श्रद्धालु हर साल इस पंचकोशी यात्रा में शामिल होते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ण होने का दावा करते हैं. इसमें प्रदेश के कौने-कौने से हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं. पांच दिन चलने वाली इस पंचकोशी पदयात्रा में श्रद्धालु 25 कोस पैदल चलकर 5 पड़ाव में 5 शिवलिंगों के दर्शन करते हैं.
इन पांच मंदिरों के करते है दर्शन
इस दौरान श्रद्धालू अपने दैनिक आवश्यकता के सामान भी साथ लेकर चलते हैं. कुछ श्रद्धालु तो हर साल इस पंचकोशी यात्रा में शामिल होते हैं. इस पदयात्रा में श्रद्धालुओं को किसी तरह का कोई खर्च नहीं उठाना पड़ता है. पंचकोशी पदयात्रा का प्रारंभ और समापन राजिम त्रिवेणी संगम के बीचों-बीच स्थित कुलेश्वर मंदिर में पूजा पाठ से होता है. पदयात्रा के दौरान श्रद्धालुओं का पहला पड़ाव पटेवा के पटेश्वरनाथ मंदिर में होता है. जो चंपेश्वरनाथ, बम्हनेश्वरनाथ, फणेश्वरनाथ, और कोपेश्वरनाथ के दर्शन के बाद कुलेश्वरनाथ मंदिर में खत्म होता है.
12 जनवरी से शुरू पंचकोशी पदयात्रा
छत्तीसगढ़ की पंचकोशी पदयात्रा की अहम बात ये है कि ये पदयात्रा 5 शिवलिंगों के दर्शन करने के लिए की जाती है. इस पदयात्रा के दौरान श्रद्धालु भोलेनाथ की बजाय सीताराम का भजन कीर्तन करते हुए आगे बढते हैं. पदयात्रा हर साल 12 जनवरी से शुरू होती है, पदयात्रा का जिस दिन, जिस गंव में पड़ाव होता है, वहां उस दिन मेले जैसा माहौल रहता है.