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छत्तीसगढ़ में मातर पर्व की धूम, जानिए ये त्योहार क्यों है खास - मातर न्यूज

छत्तीसगढ़ में दीपावली के पांचवें दिन ग्वाला समाज का पारंपरिक त्योहार मातर मनाया जा रहा है. इस दिन ग्वाला समाज की ओर से हैरतअंगेज करतब दिखाने के साथ विशेष प्रसाद भी बांटा जाता है.

छत्तीसगढ़ की पारंपरिक त्योहार मातर

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Published : Oct 29, 2019, 3:33 PM IST

गरियाबंदः दीपावली का त्योहार छत्तीसगढ़ में धूमधाम से मनाया गया. यह दीपावली पांच दिनों तक चलने वाला पर्व है. इन पांच दिनों का अपना अलग-अलग महत्व है. छत्तीसगढ़ में त्योहार के पांचवें दिन यादव समाज की ओर से गोठानों में मातर का आयोजन किया जाता है.

छत्तीसगढ़ की पारंपरिक त्योहार मातर

भूपेश सरकार ने प्रदेश में मवेशियों की स्थिति में सुधार लाने के लिए नरवा, गरवा, घुरवा और बारी जैसी महत्वकांक्षी योजना की भी शुरुआत की है. इससे प्रदेश में आवारा घूमने वाले मवेशियों पर रोकथाम कर उन्हें गोठानों में पोषित आहार दिया जा सके.

पौराणिक मान्यता
प्राचीन मान्यता के मुताबिक भगवान श्री कृष्ण ने देवराज इंद्र के अहंकार को तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी ऊंगली पर उठा लिया था और नगरवासियों का संरक्षण किया था. यादव समाज द्वारा आज के दिन गौठान में भगवान कृष्ण की मूर्ति और गोवर्धन की मूर्ति स्थापित कर विशेष पूजा की जाती है.

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ऐसे मनाया जाता है मातर
इस दिन ग्वाला समाज की महिलाएं सुबह से गौठान पहुंच तैयारियों में जुट जाती है .सुबह के वक्त ग्वाला समाज गौठान में गायों को यहां स्थापित भगवान कृष्ण और गोवर्धन के मूर्ति के चारों ओर घूमाते हैं. इस दौरान गायों के पैरों के नीचे कद्दू को छोड़ दिया जाता है. गायों के पैरों तले आकर कद्दू फट जाता, इसके बाद ग्वाला समाज की महिलाएं गौठान में ही दही मिला कर कद्दू की सब्जी बनाती है. इसके साथ ही खीर भी बनाई जाती है.

अखाड़े का हैरतअंगेज करतब
शाम के समय ग्रामीण दोबारा गौठान में इक्तठा होते हैं, जहां ग्वाला समाज के लोग विभिन्न अस्त्रों का अखाड़े में पूजा करते हैं और इनसे हैरतअंगेज करतब दिखाते हैं. इसके बाद समाज की महिलाओं द्वारा बनाए गए कद्दू की सब्जी और खीर को प्रसाद के रूप में ग्रामीणों को बांटा जाता है.

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