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सिर्फ 15 दिन की ट्रेनिंग में मेडल जीत लाईं ये छोरियां

गरियाबंद की देवभोग के कस्तूरबा गांधी आश्रम की छात्राएं अनीता और पद्मलता ने नेपाल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कराटे प्रतियोगिता में शहर का नाम रोशन करके लौटी हैं. अनीता ने रजत पदक जीता है और पद्मलता ने कांस्य पदक अपने नाम किया है. इसी जीत की खुशी पर देवभोग के लोगों ने दोनों खिलाड़ियों के साथ उनकी कोच को फूल-माला पहना कर भव्य स्वागत किया.

अनिता और पद्मलता

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Published : Jun 6, 2019, 1:51 PM IST

Updated : Jun 6, 2019, 6:38 PM IST

गरियाबंद: 2016 दिसंबर में आई दंगल मूवी ने गीता और बबिता के संघर्ष और उनकी सफलता को बखूबी दिखाया था. एक पिता कैसे अपनी बेटियों के लिए जी-जान लगाता है, इसकी सबने सराहना भी की थी. ऐसी ही एक स्टोरी गरियाबंद से भी आई है, यहां की छोरियों नेपाल में न सिर्फ देश का मान बढ़ाया है बल्कि प्रदेश का नाम भी रोशन कर आई हैं.

सिर्फ 15 दिन की ट्रेनिंग में मेडल जीत लाईं ये छोरियां

गरियाबंद की देवभोग के कस्तूरबा गांधी आश्रम की छात्राएं अनीता और पद्मलता ने नेपाल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कराटे प्रतियोगिता में शहर का नाम रोशन करके लौटी हैं. अनीता ने रजत पदक जीता है और पद्मलता ने कांस्य पदक अपने नाम किया है. इसी जीत की खुशी पर देवभोग के लोगों ने दोनों खिलाड़ियों के साथ उनकी कोच को फूल-माला पहना कर भव्य स्वागत किया.

15 दिन की ट्रेनिंग में हासिल की सफलता

अनीता और पद्मलता बताती हैं कि, पहले भी बिना किसी सुविधाओं और अपने कोच के मार्गदर्शन में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मेडल हासिल कर चुकी हैं. वहीं कोच बरखा का कहना है कि जज्बे और हौसले के दम पर और 15 दिन की ट्रेनिंग में ही बिना किसी सुविधा के ये सफलता हासिल की है.

सीएम बघेल ने दी बधाई

वहीं इस जीत की खुशी पर प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने भी ट्विटर और फेसबुक पर दोनों बच्चियों का बधाई दी है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छात्राओं को हरसंभव मदद करने का भरोसा दिलाया है. वहीं स्थानीय कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी खिलाड़ियों की स्वागत रैली में पहुंचकर बधाई दी और मुंह मीठा कराया.

तय किया विदेश तक का सफर

कस्तूरबा गांधी आश्रम की इन लड़कियों के जज्बे और हौसले में वक्त के साथ बदलाव नहीं आया है. वे पहले भी उतनी ही मेहनती थीं, जितनी आज हैं. छोरियों ने पिछले साल भी मेडल जीता था और इस साल तो दोनों ने विदेश तक का सफर तय कर लिया.

गांव की इन बेटियों ने उन हजारों, लाखों उभरते खिलाडियों के लिए एक प्रेरणा का काम किया है. जो सुविधाओं का रोना रोकर मंजिल पाने से पहले ही हार मान लेते हैं.

Last Updated : Jun 6, 2019, 6:38 PM IST

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