गरियाबंद : ट्रायसिकल पर बैठी इस मासूम का नाम है छाया. गरियाबंद के धुरवापारा की रहने वाली इस बच्ची की उम्र मात्र 11 साल है. कुदरत ने इसके पैरों की ताकत भले ही छीन ली हो, लेकिन हौसलों के पंख कमजोर नहीं पड़े हैं. छाया डॉक्टर बनना चाहती है. बेटी के ख्वाब को पूरा करने के लिए 6 लोगों का परिवार होने के बाद भी पिता ने अपना काम-काज छोड़ दिया, वो खुद हर रोज बेटी की ट्राइसाइकल को को सहारा देते हुए स्कूल पहुंचाते हैं. शाम को स्कूल की छुट्टी के बाद छाया को वापस घर लेकर आते हैं. बावजूद इसके उन्हें यह डर सताता रहता है कि, उनकी नन्ही परी के यह सपने कहीं सपने बन कर न रह जाएं.
छाया के पिता कहते हैं की वे लगातार कई बार छाया की मदद के लिए सरकार से गुहार लगा चुके हैं. पंचायत सचिव को 2 से 3 बार आवेदन दे चुके हैं. दिव्यांग पात्र होने के बाद भी छाया को योजना का लाभ नहीं मिल रहा है.