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'इस फैसले ने खिला दिए मासूमों के चेहरे, 'पढ़ेंगे-खेलेंगे तो बनेंगे नवाब' - gariyaband

8-10 दिनों में गरियाबंद के ज्यादातर स्कूलों में पारंपरिक खेलों की सामग्री खरीदी गई है. इसके लिए बकायदा फंड जारी किया गया है

रस्सी कुद

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Published : Mar 28, 2019, 4:56 PM IST

गरियाबंद: सरकार का फैसला और शिक्षकों की पहल से यहां के सरकारी स्कूलों के बच्चों के चेहरे पर मुस्कान देखी जा रही है. सराकारी स्कूलों में बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए तरह-तरह के खेल खिलौने की तैयारी है.


बीते 8-10 दिनों में गरियाबंद के ज्यादातर स्कूलों में पारंपरिक खेलों की सामग्री खरीदी गई है. इसके लिए बकायदा फंड जारी किया गया है. प्राथमिक शाला को 3 हजार रुपए और माध्यमिक शाला को 5 रुपए की राशि जारी की गई है. अंतिम पीरियड खेलगढ़ी का होगा जिसमें गुरुजी बच्चों को अपने बचपन के भूले-बिसरे खेल बच्चों को सिखा रहे हैं.

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शिक्षा विभाग ने क्या कहा
भंवरा, बाटी, पिटठुल, सांप-सीढ़ी, लूडो, रस्सी कूद के साथ कबड्डी खो-खो वालीबॉल भी सिखाया जाएगा. शिक्षा विभाग का कहना है कि अंतिम पीरियड में बच्चों को खेल खिलवाने से वे खुशी-खुशी स्कूल आएंगे. इसके साथ ही ताउम्र वे अपना खेल भी याद रखेंगे और अगली पीढ़ी को भी छत्तीसगढ़ी खेल सिखाएंगे.


गरियाबंद के चिखली प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला में खेल सामग्री पहुंचते ही बच्चों ने इससे खेलना प्रारंभ कर दिया. कोई सांप-सीढ़ी खेलता नजर आया, तो कोई रस्सी कूद रहा था. गांव के बच्चे हाथों में रंग बिरंगे भंवरे और खिलौने पाकर खिल उठे और फुदक-फुकद कर अपनी बारी का इंतजार करते दिखे.

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