गरियाबंदःसावन की मूसलाधार बारिश में खुले आसमान के नीचे हाथों में छतरी लिए तिरपाल से ढककर ये लोग अपने किसी प्रिय का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. आप को ये जान कर और भी हैरानी होगी कि ये तस्वीर मॉडल गांव की है.
तिरपाल से ढंककर अंतिम संस्कार ये दृष्य राजिम विधानसभा क्षेत्र के विकासखण्ड फिंगेश्वर के मॉडल ग्राम पंचायत जेंजरा के आश्रित ग्राम मुड़तराई का है. मॉडल ग्राम पंचायत के तहत होने के बावजूद इस गांव में मुक्तिधान नहीं है. मुड़तराई के लोगों को बारिश के दिनों में चिता को तिरपाल से ढंककर, हाथों में छतरी लिए खुले आसमान के नीचे दाह संस्कार करना पड़ता है.
तिरपाल से ढंककर अंतिम संस्कार
गांव में रहने वाले मोहन जोशी का निधन हो गया. जोरदार बारिश के बीच उनके परिजनों को तिरपाल से ढक कर उनका अंतिम संस्कार करना पड़ा. लंबे समय से मांग के बाद मुक्तिधाम निर्माण के लिए स्वीकृति तो मिली, काम शुरू भी हुआ लेकिन अब तक पूरा नहीं हो पाया.
निर्माण सामग्री पहुंचाने में हो रही दिक्कत
गांव की सरपंच निलेश्वरी साहू का कहना है कि निर्माण जारी है. निर्माण सामग्री पहुंचाने में बहुत सी समस्याएं आई, इसलिए देर हो रही है. वहीं जमीन को लेकर भी कुछ समस्याएं आ रही थी जो अब सुलझा ली गई है. लेकिन इसका निर्माण पूरा होने में अब भी समय लगेगा.
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बरसात के बाद होगा निर्माण
जनपद सीईओ चंद्रशेखर शर्मा को इस बात की जानकारी तक नहीं थी कि गांव में ऐसे हालात हैं. ETV भारत ने उन्हें इसकी सूचना दी. हमारी जानकारी के बाद हरकत में आए सीईओ ने कहा कि निर्माण सामग्री पहुंचाने में दिक्कत है, बरसात के बाद ही निर्माण हो पाएगा. लिहाजा इस दौरान किसी की मौत होने पर उसके शव का अंतिम संस्कार ऐसे ही होगा जैसे मोहन जोशी का हुआ.
सिस्टम की सितम से जूझ रहे
ये हालात बेहद शर्मनाक हैं और इस बात की ओर इशारा करते हैं कि सरकारें भले ही बड़ी-बड़ी योजनाओं का ऐलान करती रहें, जमीन पर नजीता सिफर ही है. जिस परिवार में किसी की मौत हुई है उन्हें गम में भी इस सिस्टम की सितम से जूझना पड़ रहा है.