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उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के जंगलों में आग, खतरे में जंगली जानवर

उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के जंगलो में जगह-जगह आग लगने से वन्य प्राणी के खतरा बढ़ गया है. वन विभाग सेटेलाईट तकनीकी सिस्टम से भी निगरानी रख रहा है. लेकिन फिलहाल आग पर काबू नहीं पाया जा सका है. जंगली जानवर पर भी खतरा बढ़ गया है.

Fire spreading continuously in forests of Udanti Sitanadi Tiger Reserve
उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के जंगलो में आग

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Published : Mar 6, 2021, 3:49 PM IST

गरियाबंद: उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के जंगलो में जगह-जगह आग लगने से वन्य प्राणी के खतरा बढ़ गया है. जंगली जानवर गांव की ओर भाग रहे हैं. शुक्रवार को नेशनल हाईवे के किनारे जंगल में आग लगने से पुरा धुआ नेशनल हाईवे में चारो तरफ फैला गया था. ऐसे में आने जाने वाले राहगीरों को भारी परेशानियों का सामना करना पड रहा था. वन विभाग और शासन के दावे खोखले साबित हो रहे हैं.

वन विभाग लगातार सेटेलाईट के माध्यम से जंगल में लगने वाली आग की पल-पल की खबर होने का दावा करती है. लेकिन ग्रामीण सुत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जंगल क्षेत्रों में पिछले एक सप्ताह से जगह-जगह आग लगने का सिलसिला लगातार जारी है. नेशनल हाईवे के किनारे से लेकर तौरेंगा वन परिक्षेत्र, उत्तर उदंती अभ्यारण्य, दक्षिण उदंती अभ्यारण्य, इदागांव वन परिक्षेत्र के साथ जगह जगह आग लगने की जानकारी मिली है. हालाकि वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों ने आग लगने की बात तो स्वीकार किया है. लेकिन विभाग की ओर से कहा जा रहा है कि आग लगते ही तत्काल वन विभाग का अमला मौके पर पहुंचकर आग को बुझा रहा है.

नेशनल हाईवे के किनारे आग

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इन जंगलों में लगी आग

जंगलों में आग लगने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. लगातार क्षेत्र के जंगलों में आग लगने की जानकारी मुख्यालय तक पहुंच रही है. भले ही वन विभाग लाख दावा कर रहा है कि क्षेत्र के जंगल सुरक्षित हैं, लेकिन जगह-जगह जंगलों में लगी आग और उसकी राख हकीकत को बयां कर रही है. इदागांव, पीपलखुंटा, कुहीमाल, तौरेंगा, मोंड-जुंगाड और उसके आगे देवदाहरा पहाड़ी क्षेत्र, चैकसील पहाडी क्षेत्र, गोंडेना पहाडी क्षेत्र, तौरंगा परिक्षेत्र के ओडिसा सीमा क्षेत्र के अलावा नेशनल हाईवे के किनारे आग देखी जा सकती है.

आग लगने की घटना को ग्रामीण लगातार वन विभाग मुख्यालय तक पहुंचा रहे हैं. वहीं उदंती अभ्यारण सहित इंदागांव वनपरिक्षेत्र के जंगलों के अंदर आग की लपटे दिखाई दे रहीं हैं. जिसके कारण मैनपुर देवभोग मुख्य मार्ग में जगह-जगह धुंआ और आग की तपिस मुख्य मार्ग तक राहगीर महसूस कर रहे हैं. जंगल के अंदर कई हेक्टेयर में राख के निशान मौजूद हैं.

जंगली जानवरों को खतरा

टाइगर रिजर्व क्षेत्र के जंगल में जगह-जगह आग लगने से कीमती वनोंपज बर्बाद हो रहे हैं. इसके अलावा जंगली जानवरों के लिए भी खतरा बढ़ रहा है. आग से बचने के लिए वन्य प्राणी भटक रहे हैं. जानवर अब ग्रामीण इलाकों की ओर भी आ रहे हैं. इन दिनों मुख्यमार्ग के किनारे और गांव के आसपास नदी-नालों और तालाबों में शाम और सुबह के समय खरगोश, सांभर, नीलगाय, गिलहरी, भालू, लकडबघ्घा और हिरण दिखाई दे रहे हैं. ऐसे संभावना है कि जंगल में आग लगने से वन्य प्राणी अपने जान को बचाने गांव की तरफ रूख कर रहे हैं. जिससे अवैध शिकार की संभावनाएं भी बनी हुई है.

उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के जंगलो में आग

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प्रत्येक बीट में एक फायर वाचर

वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व सहित क्षेत्र के जंगलों में आग से बचाव के लिए प्रत्येक बीट में एक फायर वाचर को नियुक्त किया गया है. बीट काफी लंबा चैडा क्षेत्र होने के कारण एक फायर वाचर के जरिए जंगल को आग से सुरक्षित रख पाना संभव नहीं है. पहले से यह क्षेत्र के जंगल वन कर्मचारियों की कमी से जुझ रहे हैं.

महुआ और तेंदुपत्ता आग के कारण

ग्रामीण सुत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जंगल के भीतर आगजनी के घटना के पीछे मुख्य कारण महुआ एकत्र करने के लिए महुआ पेड के नीचे आग लगाया जाना है. लेकिन उस आग को नहीं बुझाने के कारण पुरे जंगल क्षेत्र में आग फैल रही है. ठीक ऐसे ही तेंदुपत्ता संग्रहण के पूर्व भी जंगल क्षेत्र में आग लगाने की बात सामने आई है.

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क्या कहते हैं अधिकारी?

उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के सहायक संचालक मनेंद्र सिदार ने बताया कि टाइगर रिजर्व के जंगल क्षेत्र में आग लगते ही तत्काल उस पर काबू पा लिया जाता है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक बीट में एक फायर वाचर है. वन विभाग के कर्मचारी-अधिकारी लगातार आग पर काबू पाने के लिए मौके पर तैनात हैं. सेटेलाईट तकनीकी सिस्टम से भी निगरानी रखी जा रही है.

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