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Exclusive: पेड़ों की कटाई में दो गांवों की लड़ाई, किसकी बातों में सच्चाई

हमें धनोरी के रहने वाले लोगों के साथ पड़ोसी गांव पीपलकोटी के लोग भी मिले. जांच दल के पहुंचते ही इन दोनों गांव के लोग आपस में लड़ने लगे और काफी देर तक हंगामे की स्थिति बनी रही.

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Published : Oct 8, 2019, 11:33 PM IST

गरियाबंद में पेड़ों की कटाई

गरियाबंदः वन विभाग के जांच दल के साथ ETV भारत की टीम दूसरे दिन गरियाबंद के मैनपुर विकासखंड के धनोरा गांव पहुंची. यहां पर हमें धनोरी के रहने वाले लोगों के साथ पड़ोसी गांव पीपलकोटी के लोग भी मिले. जांच दल के पहुंचते ही इन दोनों गांव के लोग आपस में लड़ने लगे और काफी देर तक हंगामे की स्थिति बनी रही.

पेड़ों की कटाई में दो गांवों की लड़ाई

जंगल का मुआयना करने की अपील
इन दोनों गांव के लोगों का एक दूसरे पर आरोप था कि वे लोग ओडिशा के लोगों से पैसे लेकर ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर पर स्थित जंगल में उनकी बसाहट और जंगल कटाई करवा रहे हैं. इन गांववालों ने जांच टीम से दोबारा जंगल का मुआयना करने की अपील की. गांववालों का कहना है कि जांच दल ने जब हल्दी कछार का मुआयना किया था तब वहां पीपलकोटी के लोग मौजूद नहीं थे. उस वक्त वहां धनोरा के लोग थे, क्योंकि वे ही वन समिति के सदस्य हैं और वन समिति का काम है जंगल की देख-रेख करना.

पीपलकोटी के लोग इन्हीं लोगों पर ही जंगल कटाई और अवैध बसाहट का आरोप लगा रहे थे और यही वजह थी कि दोनों मौके पर पहुंचकर निष्पक्ष जांच की मांग करने लगे. ग्रामीणों की मांग पर जांच दल मौके पर जाने के लिए दोबारा तैयार हुआ. ETV भारत की टीम भी साथ चली. और रास्ता बेहद दुर्गम मिला.

सामने आए ये तथ्य

  • रास्ते में कई तरह की चीज है और नजारे भी देखने को मिले. इसी में था एक जंगल की पहाड़ियों के बीच लकड़ी ओर पत्थर से बना टीला. जब इस टीले के बारे में भारत की टीम ने ग्रामीणों से बात की तो उन्होंने बताया कि है उनकी वनस्पति देवी हैं, जिसकी पूजा उनके द्वारा आते-जाते की जाती है. पूजा इसलिए की जाती है, जिससे यह वनस्पति देवी जंगल की रक्षा करें और इन ग्रामीणों को आने जाने में किसी तरह की कोई रुकावट पैदा ना हो. पूजा के दौरान खास बातें हैं यहां फूल माला या अगरबत्ती नहीं चढ़ाई जाती बल्कि पत्थर और लकड़ी रखकर देवी से कामना की जाती है.
  • जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते जा रहे थे एक के बाद एक मामले से जुड़ी कई और बातें भी सामने आ रही थी. उदाहरण के तौर पर यह है कि धनोरा गांव के जो लोग वन मंत्री के पास जंगलों की अवैध कटाई और उड़ीसा के लोगों के बसाहट की शिकायत लेकर पहुंचे थे. उन लोगों पर ही पूर्व में जंगलों की कटाई और यहां झोपड़ी लगाकर रहने का आरोप था.
  • वन विभाग ने इनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए इन्हें जेल भी भेजा था और जेल से छूटने के बाद अब यह लोग अपने पड़ोसी गांव के लोगों पर जंगल कटाई और ओडिशा के लोगों को बसाने का आरोप लगा रहे हैं.
  • इसके लिए पैसे के लेनदेन की बात भी सामने आ रही है. जंगलों में अवैध तरीके से झोपड़ी बनाकर रहने और पेड़ों की कटाई की बात धनोरा गांव के लोगों ने भी ETV भारत के सामने स्वीकारी.
  • वन मंत्री के पास शिकायत करने पहुंचे दल में जो 2 सदस्य तेज सिंह तांडिया और कमल शामिल थे. इन दोनों पर ही पूर्व में पेड़ कटाई और अवैध तरीके से जंगल में झोपड़ी बनाने का आरोप था और इन्हें जेल की सजा भी काटनी पड़ी थी.
  • पहले शिकायतकर्ता तांडिया पर आरोप था कि वह अवैध रूप से जंगल के पेड़ काटकर सड़क बना रहा था, जिसके बाद वन विभाग की टीम ने उसे गिरफ्तार करते हुए उसके खिलाफ कार्रवाई की और जेल भेज दिया. इस मामले में तांडिया का कहना है कि वह पीडब्ल्यूडी की सड़क बना रहा था और इसके लिए पेड़ की कटाई की थी और मामला अभी भी न्यायालय में चल रहा है.
  • वहीं दूसरे शिकायतकर्ता कमल पर भी अवैध तरीके से जंगल में झोपड़ी बनाकर रहने और पेड़ काटने का आरोप था इनके खिलाफ भी वन विभाग ने पूर्व में कार्रवाई करते हुए जेल भेज दिया था.
  • हमें हल्दी कछार जाते समय रास्ते में कमल की झोपड़ी भी दिखी, जिसमें वह पूर्व में अवैध रूप से रह रहे थे और वन विभाग ने उसे उजाड़ दिया था.
  • जब कमल से सवाल किया गया कि आप तो पूर्व ही जंगल कटाई करते थे अवैध तरीके से झोपड़ी बनाकर रहते थे और आपको जेल भी हो चुकी है तो अचानक जेल से छूटने के बाद जंगल बचाने का मोह कैसे जाग उठा. इस सवाल पर उसने कहा कि जेल जाने के बाद उन्हें समझ में आ गया जंगल बचाना कितना जरूरी है और अब वे जंगल बचाने के लिए मंत्री से गुहार लगाने रायपुर पहुंचे थे और आज जांच दल के साथ मौके पर जा रहे हैं.

सरपंच ने आरोपों को किया खारिज
वहीं वन समिति के अध्यक्ष और ग्राम पंचायत धनोरा के सरपंच नीलांबर मांझी से सवाल किया गया कि आप के क्षेत्र में इतने सालों से अवैध रूप से जंगल की कटाई और ओडिशा के लोगों के द्वारा बसाहट की जा रही है तो आपने कोई पहल क्यों नहीं की. इस पर नीलांबर ने कहा कि उनके यहां कोई जंगल कटाई नहीं हो रही है न ही ओडिशा के लोगों ने बसाहट की है. पहले ऐसा हुआ था, जिसमें 26 लोग गिरफ्तार हुए थे.

करीब 15 किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करने के बाद वन विभाग का जांच दल दूसरे रास्ते से हल्दी कछार पहुंचा. लेकिन आज हल्दी कछार के उस हिस्से में दल पहुंचा जहां पर पिछले कई सालों से लगातार कटाई की जा रही है और पेड़ को काटने के बाद उसी स्थान पर छोड़ दिया जा रहा था. यहां काफी बड़ा इलाका समतल कर दिया गया है.

कब तक सुधरेंगे हालात
मौके को देखने के बाद साफ नजर आ रहा था कि ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर से लगे अदंती अभयारण्य के हल्दी कछार के जंगल को लगातार साफ किया जा रहा है. अब देखना है कि वन विभाग की जांच टीम की रिपोर्ट के आधार पर कब तक यहां के हालात सुधरते हैं.

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