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गरियाबंद में 11 शिक्षाकर्मियों को 3-3 साल की कड़ी सजा

Fake Shikshakarmi कई बार लोग नौकरी पाने के लिए फर्जी सर्टिफिकेट्स का सहारा लेते हैं. इससे कुछ दिनों तक तो वो नौकरी कर सकते हैं लेकिन लंबे समय तक फर्जीवाड़ा छुप नहीं सकता. जिसके बाद नौकरी तो जाती ही है साथ में कड़ी सजा भी मिलती है.

fake Shikshakarmi
फर्जी शिक्षाकर्मी को सजा

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 30, 2023, 7:13 AM IST

Updated : Dec 30, 2023, 11:55 AM IST

गरियाबंद:साल 2008-09 की बात है. मैनपुर जनपद में शिक्षाकर्मी के पद पर कई शिक्षकों की भर्ती हुई. इसके कुछ दिनों बाद इस बात की चर्चा शुरू हो गई कि कुछ अभ्यर्थियों ने फर्जी प्रमाणपत्र के जरिए शिक्षाकर्मी की नौकरी हासिल की है. जिसके बाद प्रार्थी कृष्ण कुमार ने मैनपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई.

फर्जी प्रमाण पत्र के सहारे शिक्षाकर्मी की नौकरी: थाने में दर्ज रिपोर्ट में बताया गया कि 2008-09 में शिक्षाकर्मी चयन के दौरान हुए कुछ शिक्षा कर्मियों ने फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरी हासिल की है. इन अभ्यर्थियों ने बीएड और डीएड का फर्जी प्रमाण बनवाया और भर्ती परीक्षा में पास होने के बाद इन प्रमाणपत्रों को दिखाया.

कोर्ट ने फर्जी शिक्षाकर्मियों को सुनाई तीन साल की सजा: मैनपुर थाने से मामला गरियाबंद जिला एवं अपर सत्र न्यायालय पहुंचा. कोर्ट ने जांच में शिकायत सही पाई. इस दौरान पूरे मामले में कई अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी आरोप लगे. जिसके बाद कोर्ट ने 11 शिक्षाकर्मियों को 3-3 साल की कड़ी सजा सुनाई. कोर्ट ने सभी आरोपियों पर 1 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.

जिन शिक्षाकर्मियों को कोर्ट ने सजा सुनाई है. उनमें दो महिलाएं भी है. अरविंद सिन्हा, संजय शर्मा, शंकर लाल साहू, भेगेश्वरी साहू, देवनारायण साहू, दौलत राम साहू, ममता सिन्हा, हेमलाल यादव, पीतांबर राम साहू, शिवकुमार साहू, योगेंद्र कुमार सिन्हा है. इन सभी को कोर्ट ने तीन साल कठोर कारावास और अर्थदंड लगाया है.

Last Updated : Dec 30, 2023, 11:55 AM IST

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