गरियाबंद: एक आंकड़े के मुताबिक बीते एक साल में देशभर में करीब डेढ़ लाख लोग सड़क हादसे में अपनी जांन गवां चुके हैं. भारत में प्रति लाख आबादी पर सड़क हादसों में होने वाली मौतों की दर 17.6 है, जो बहुत ज्यादा है. देश में सड़क सुरक्षा के तमाम दावे किये जाते हैं.
हर साल सैकड़ों जानें ले लेती है ये 'खूनी सड़क' सड़कों के दोनों तरफ सुरक्षा को लेकर तमाम तरह के सूचना बोर्ड के साथ समय-समय पर कई अन्य कार्यक्रम भी होते रहते हैं, लेकिन सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लाख दावों के बाद भी राज्य की खूनी सड़कें हर वर्ष सैकड़ों लोगों की जिंदगी लील रही है. मौत का आंकड़ा साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है. जो रोड सेफ्टी के लिए बड़ा चैलेंज है.
3 किलोमीटर में 5 खतनाक मोड़
गरियाबंद की सुंदर वादियों से गुजर रही जतमई मंदिर रोड जितनी सुंदर है. लोग बताते हैं ये उतनी ही खतनाक भी है. यहां के बारे में एक प्रसिद्ध कहावत बन गई 'चूका ध्यान तो गई जान'. इस सड़क पर 3 किलोमीटर में 5 बेहद ही खतनाक मोड़ हैं. जहां आये दिन हादसे होते रहते हैं. लोग बताते हैं, पहाड़ियों में बनी ये सड़क इतनी संकिर्ण और तीखे मोड़ से भरी है कि यहां हादसा होना आम बात हो गई है.
हर साल हो रही है सैकड़ों मौतें
पांडुका से छुरा जानेवाली ये मुख्यमार्ग छत्तीसगढ़ में आस्था और पर्यटन के लिए बेहद ही खास है. ये सड़क भक्तों को जतमई और घटारानी के दरबार तक लेकर जाती है. वहीं गर्मियों में पर्यटक यहां की हसीन वादियों का लुत्फ लेने आते हैं. संकिर्ण और तीखे मोड़ से भरी ये सड़क अबतक न जाने कितने ही लोगों की जिंदगी लील ली है, लेकिन सरकार की नींद अभी तक नहीं खुली है. सड़क सुरक्षा के तमाम दावों के बाद हर साल यहां सैंड़कों जानें जा रही है.