गरियाबंद: छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा सहित कई पदाधिकारियों का आरोप है कि सभी विभाग में पदोन्नति की जा रही है, लेकिन शिक्षा विभाग ने अभी तक प्रमोशन नहीं किया है. उनका कहना है कि सबसे ज्यादा प्रभावित सहायक शिक्षक संवर्ग है, जिन्हें न्यूनतम वेतनमान मिलता है. 10 साल की सेवा में क्रमोन्नति और 5 साल की सेवा में पदोन्नति का नियम है, लेकिन हजारों शिक्षक संवर्ग को 23 साल की शिक्षकीय सेवा में भी क्रमोन्नति और पदोन्नति नहीं दी गई है. प्रदेश उपाध्यक्ष और रायपुर संभाग प्रभारी देवनाथ साहू, कोषाध्यक्ष शैलेंद्र पारीक, संयुक्त सचिव यशवंत बघेल, संगठन सचिव विनोद सिन्हा, गरियाबंद जिलाध्यक्ष आरिफ मेमन, प्रांतीय आई टी सेल प्रभारी पूरन लाल साहू और गिरीश शर्मा ने भी इस बात पर सहमति जताई है.
'प्रयोगशाला बन चुका है शिक्षा विभाग'
पदाधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में शिक्षा विभाग प्रयोगशाला बन चुका है, रोजाना नई कार्ययोजना के कारण एक लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती है. नए कार्य को प्रचारित कर विभाग सुर्खियों में होता है. वास्तव में विभाग के शिक्षकों की सेवा शर्त और कल्याण पर कोई कार्य नहीं किया जा रहा है. 1998 से शिक्षक एल बी संवर्ग स्कूलों में शिक्षण कार्य कर रहे हैं. उनका कहना है कि कई शिक्षक बिना पेंशन, जीपीएफ, अवकाश नकदीकरण और क्रमोन्नति/पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो गए, लेकिन विभाग ने कभी सुध नहीं ली. लगातार मांग के बाद भी नियम का हवाला देकर सेवा के बाद रिटायर शिक्षक को अंधेरी गली में छोड़ दिया गया.
क्रमोन्नति और पदोन्नति की मांग
जिलाध्यक्ष आरिफ मेमन और आई टी सेल के प्रभारी पूरन लाल साहू ने आगे कहा कि 1998 से लगातार भर्ती किए गए हजारों शिक्षाकर्मियों को आज तक क्रमोन्नति और पदोन्नति नहीं मिली है. उनका आरोप है कि एक ही पद पर 10 साल की सेवा पूरी करने पर क्रमोन्नति का प्रावधान है, लेकिन नियम कायदे के चक्कर में विभाग ने शोषण ही किया है. गरियाबंद जिला सहित प्रदेश में प्राथमिक शाला प्रधान पाठक के 22 हजार पद खाली हैं.
इस तरह हो सकती है वेतन विसंगति दूर