छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

SPECIAL : मिड-डे मील बना महिला समूहों पर बोझ! सरकार देती है 5, खर्च होते हैं 15 रुपए - मिड डे मील का हिसाब

सरकार मध्याह्न भोजन का संचालन गांव की महिला समूहों के माध्यम से करती है. समूहों को इसके लिए चावल शासन की ओर से उपलब्ध कराया जाता है. बाकि खर्च के लिए प्राथमिक शालाओं के लिए 4 रुपए 75 पैसे प्रति छात्र और मिडिल स्कूलों के लिए 6 रुपए 10 पैसे रुपए देती है. महिला समूहों का कहना है कि ये राशि बहुत कम है और इतनी कम राशि में सरकार की ओर से निर्धारित मेनू तैयार करना बहुत मुश्किल होता है.

CALCULATION OF MID DAY MEAL IN GARIYABAND
डिजाइन इमेज

By

Published : Jan 24, 2020, 10:28 PM IST

गरियाबंद: मंहगाई के जमाने में आज 5 रुपए का एक समोसा भी नहीं मिल पाता लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार इससे कम कीमत में पौष्टिक भोजन उपलब्ध करने का दावा कर रही है. सरकारी प्राथमिक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के मध्याह्न भोजन के लिए पौने पांच रुपए प्रति छात्र खर्च करती है, लेकिन भोजन तैयार करने वाली महिला समूहों को प्रति छात्र करीब 15 रुपए का खर्च आता है, ऐसे में मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता सवालों के घेरे में है.

मध्याह्न भोजन

सरकार मध्याह्न भोजन का संचालन गांव की महिला समूहों के माध्यम से करती है. समूहों को इसके लिए चावल शासन की ओर से उपलब्ध कराया जाता है. बाकि खर्च के लिए प्राथमिक शालाओं के लिए 4 रुपए 75 पैसे प्रति छात्र और मिडिल स्कूलों के लिए 6 रुपए 10 पैसे रुपए देती है. महिला समूहों का कहना है कि ये राशि बहुत कम है और इतनी कम राशि में सरकार की ओर से निर्धारित मेनु तैयार करना बहुत मुश्किल होता है.

'कोई आर्थिक लाभ नहीं होता'
मध्याहन भोजन संचालित करने वाले अधिकांश महिला समूहों का मानना है कि, इस काम में उन्हें कोई आर्थिक लाभ नहीं होता. बल्कि गांव के बच्चे अच्छा भोजन कर सकें, इसके लिए कई बार समूह खुद की जमापूंजी लगाकर भी मध्याह्न भोजन तैयार करते हैं.

महिला समूह की महिलाओं की ये भी शिकायत है कि उन्हें तीन से चार महीने तक ना मेहनताना मिलता है और ना ही राशन के लिए राशि.
मध्याह्न भोजन के सामान के अलावा उन्हें अपने घर का सामान भी उधारी में लाना पड़ता है. बच्चे भूख ना रहें इसलिए नुकसान सहकर भी वो मध्याह्न भोजन तैयार करती हैं.

मध्याहन भोजन के लिए निर्धारित सरकारी मेनू
मध्याह्न भोजन के लिए चावल सरकार देती है, उसके अलावा रोजाना एक हरी सब्जी, एक दाल, पापड़ और आचार की व्यवस्था महिला समूहों को खुद करनी पड़ती है. भोजन बनाने के लिए लकड़ी या गैस की व्यवस्था भी इन्हें ही करनी होती है.

करीब 15 रुपए होता है खर्च
मिडिल स्कूल की छात्रों के लिए तय मेनु के मुताबिक प्रति छात्र 150 ग्राम चावल, 75 ग्राम दाल, 75 ग्राम हरी सब्जी, साढ़े 7 मिलीलीटर तेल के अलावा पापड़ और आचार निर्धारित किया गया है.

  • 100 रुपए किलो की दर से 75 ग्राम दाल की कीमत- 7.50 रुपए
  • 40 रुपये किलो की दर से 75 ग्राम हरी सब्जी की कीमत - 3.00 रुपए
  • 120 रुपये लीटर की दर से साढ़े 7 मिलीलीटर तेल की कीमत - 84 पैसे
  • तीनों की कुल कीमत हुई 11.34 रुपए

प्रति छात्र 20 पैसे आचार और 50 पैसे एक पापड़ का खर्च जोड़ दिया जाए तो ये बढ़कर हो जाता है 12 रुपए 54 पैसे.

ये सिर्फ खाना बनाने की सामग्री की कीमत है, इसे बनाने के लिए 50 पैसे प्रति छात्र की दर से लकड़ी और गैस का खर्च भी जोड़ दिया जाए तो ये बढ़कर हो जाएगा लगभग 13 रुपए, जिसमें हल्दी, नमक, मिर्च और मसाले का खर्च शामिल नहीं है.

कुल मिलाकर करीब 15 रुपए खर्च किए बैगर सरकार की ओर से निर्धारित मेनू को पूरा करना संभव नहीं है. ऐसे में सरकारी कीमत के मुताबिक 4 रुपये 75 पैसे और 6 रुपये 10 पैसे की दर से हर एक छात्र को भोजन दिया जाना समझ से परे है, जाहिर है ऐसे में मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता भी सवालों के घेरे में है. लिहाजा जरूरत इस बात की है सरकार मध्याह्न भोजन के लिए तय की गई कीमत पर विचार करे और इसमें जरूरत के मुताबिक बदलाव करें.

ABOUT THE AUTHOR

...view details