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ETV भारत की मुहिम 'नदिया किनारे, किसके सहारे' को परमाणु वैज्ञानिक का समर्थन - etv bharats campaign nadiaya kinare kisake sahare

गरियाबंद विश्वविद्यालय में छात्रों से विज्ञान के विषय में चर्चा करने पहुंचे परमाणु वैज्ञानिक संतोष टकले ने ETV भारत से खास बातचीत की. संतोष ने ETV भारत की चर्चित मुहिम 'नदिया किनारे, किसके सहारे' का समर्थन किया.

संवाददाता से बात करते वैज्ञानिक संतोष

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Published : Aug 21, 2019, 8:12 PM IST

गरियाबंद: लगातार गिरते जल स्तर और नदियों में हो रहे प्रदूषण को लेकर समाज को जागरुक करने ETV भारत ने 'नदिया किनारे, किसके सहारे' अभियान की शुरुआत की है. पानी की महत्ता और अभियान की आवश्यकता को देखते हुए प्रदेश की बड़ी-बड़ी हस्तियां लगातार इससे जुड़ते जा रही हैं. इसी कड़ी में जिले के एक कॉलेज में पहुंचे मुंबई के भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक संतोष टकले भी हमसे जुड़ कर इस अभियान को प्रोत्साहित किया.

इस दौरान उन्होंने नदियों की बदहाली के लिए सरकार को तो कोसा साथ ही औद्योगिक घरानों को भी इसके लिए बड़ा जिम्मेदार बताया. साथ ही पानी की सरंक्षण के उपाय बताए. अपनी बात शुरु करते हुए वैज्ञानिक संतोष ने कहा कि जब नदी बचेगी, तब ही मानवता बचेगी. नदी के बीना लोगों के घर तक पानी नहीं पहुंच पाएगा.

'पानी के लिए होगा तीसरा विश्वयुद्ध'

'आईस बर्ग में छुपा है मीठा पानी'
वैज्ञानिक संतोष बताते हैं कि पृथ्वी के कुल हिस्से के 71 फीसदी में पानी है. लेकिन ये खारा है. पीने लायक नहीं है. मीठे पानी का बहुत बड़ा हिस्सा पोलर रिजन में आईस बर्ग में छुपा हुआ है. जिसका इंसान उपयोग ही नहीं कर पाता है. इसका बहुत थोड़ा सा हिस्सा नदियों, तलाबों और भूजल तक पहुंचता है. जिसका हम उपयोग करते हैं. इसका सरंक्षण बहुत जरुरी है.

'पानी के लिए होगा तीसरा विश्वयुद्ध'
संतोष कहते हैं कि आज पूरे इंटरनेशनल फोरम में पानी का मुद्दा गर्माया हुआ है. अगर तीसरा विश्वयुद्ध हुआ तो उसका कारण पीने का मीठा पानी ही होगा. सभी विकासशील देशों में पानी के सरंक्षण को लेकर अहम कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. इसमें कहीं न कहीं योजनाएं, नौकरशाह और सरकार का हाथ है.

माफिया और उद्योग नदी के दुश्मन
संतोष उद्योगों से निकल रहे अपशिष्ट पदार्थों और माफियों को लेकर चिंता जाहिए कहते हैं. वे बताते हैं कि नदी, प्रोसेसिंग प्लांट्स की लाइफ लाइन होती है. लेकिन ये प्लांट नदी से पानी तो ले लेते हैं लेकिन वापस इसमें जो पॉल्युटेंट डालते हैं, उससे नदी गटर में तब्दील हो जाती है.

नदियों को बचाने के उपाय-

  • नदियों में प्लास्टिक जैसे कचरे फेंकने पर कड़ी रोक लगना जरुरी
  • सभी को व्यक्तिगत तौर पर बीड़ा उठाना होगा
  • इंडस्ट्रीयल वेस्ट पर लगाम कसना होगा
  • सरकार को कागजी कार्रवाई से भी आगे जाना होगा
  • भ्रष्टाचार बंद करना होगा.

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