दुर्ग: छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर में 'सब सीखें और सब बढ़ें' इन दिनों यहां की महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है. कम से कम खर्च में ज्यादा कमाई और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ती ये महिलाएं बेरोजगारी का रोना रो रहे लोगों के लिए एक सीख है. यहां की महिलाएं गोबर से दीये और सजावटी सामान जैसी चीजें बनाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं. गाय के गोबर से बने दीये इन महिलाओं का आय का साधन बन गया है. जिससे ये महिलाएं अच्छी कमाई कर रहे हैं.
दुर्ग में बने गोबर के दीये और बंदनवार अब विदेशों तक पहुंचने लगी है. भिलाई की महिलाओं की ओर से निर्मित ये गोबर के दीये और सजावटी सामग्री को लंदन में भी खरीरददार मिलने लगे हैं. भारत में इन दीयों की डिमांड लुधियाना, मुंबई, अकोला समेत कई कई बड़े शहरों और राज्यों में है. दिवाली से पहले लंदन से इन दीयों के लिए विशेष ऑर्डर आ चुका है. इसके अलावा स्विट्जरलैंड और जर्मनी से दीये की डिमांड है.
शहरी क्षेत्रों में भी बढ़ रहा क्रेज
गोबर से बने दीये और सजावट के समान का अब ग्रामीण अंचल में ही नहीं बल्कि शहरों में भी क्रेज दिखने लगा है. शहरी इलाकों में भी महिलाएं प्रशिक्षण लेकर त्योहार के लिए दीये और अन्य सजावटी समान बना रही है. भिलाई की 'उड़ान नई दिशा' समूह की महिलाओं ने गोबर से बंदनवार, डेकोरेटिव दीये, वाल हैगिंग, शुभ-लाभ आदि तैयार कर रही हैं.
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