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अंधविश्वास: कोविड-19 से मुक्ति के लिए महिलाएं करने लगीं 'कोरोना माई' की पूजा

भिलाई में अंधविश्वास की हद हो गई. कुछ महिलाओं का मानना है कि कोरोना कोई वायरस नहीं बल्कि कोरोना माई हैं, जो रूठी हुई हैं. इस रूठी हुई माई को मनाने के लिए ये महिलाएं विशेष पूजा अर्चना कर रही हैं, जिससे देशभर में फैला कोरोना संक्रमण जल्द ही खत्म हो सके.

women worshipping corona goddess
पूजा करते हुए महिलाएं

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Published : Jun 6, 2020, 2:24 PM IST

Updated : Jun 6, 2020, 5:31 PM IST

दुर्ग: देशभर में कोरोना संक्रमण फैला हुआ है और इससे बचाव के लिए तमाम तरह के उपाय किए जा रहे हैं. लेकिन बढ़ती टेक्नोलॉजी और विज्ञान के दौर में अंधविश्वास भी चरम पर है. भिलाई में कुछ महिलाएं कोरोना को वायरस नहीं बल्कि माई मानकर पूज रही हैं. यहां रहने वाली उत्तर प्रदेश और बिहार की कुछ महिलाओं का मानना है कि कोरोना वायरस नहीं देवी हैं, जो रूठी हुई हैं. इनकी विधिवत पूजा की जाए तो ये हमारा देश छोड़ कर चली जाएंगी इसलिए वे कोरोना माई की पूजा कर रही हैं.

कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए महिलाएं कर रहीं पूजा

कोविड-19 बीमारी को हराने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं इसकी दवा बनाने के लिए पूरा विश्व एकजुट है. इस बीच कोरोना को लेकर एक अंधविश्वास भी फैल गया है. भिलाई में शुक्रवार की सुबह कैम्प दो बैकुंठ धाम मंदिर के पास कुछ महिलाएं कोरोना माई की पूजा-अर्चना कर रही थीं. पूजा में बैठी ज्यादातर महिलाएं यूपी, बिहार की हैं. इनका कहना है कि वास्तव में कोरोना वायरस नहीं बल्कि देवी हैं, जो नाराज हैं. इनकी पूजा इसलिए की जा रही है, ताकि पूरा देश इस संक्रमण से मुक्त हो सके. महिलाओं का मानना है कि उनकी पूजा से परिवार सहित देश से ये संक्रमण दूर हो जाएगा.

ऐसे की जाती है पूजा

महिलाओं ने कोरोना माई की पूजा किस तरह से की है ये भी बताया. वे कहती हैं कि 9 की संख्या को शुभ मानते हुए 9 मिठाई, 9 फूल, 9 खड़ी सुपारी (कसेली), 9 लौंग, गुड़ और पानी से पूजा करनी चाहिए. यह पूजा उस जगह पर की जाती है, जहां पहले कभी हल नहीं चला हो. पूजा के बाद उस जमीन में गड्ढा कर सारी सामग्री उसके अंदर दबा दी जाती है.

नोट- ETV भारत किसी तरह के अंधविश्वास का समर्थन नहीं करता है.

Last Updated : Jun 6, 2020, 5:31 PM IST

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