दुर्ग : जिस उम्र में कंधों पर पढ़ाई का बैग और हाथों में कलम होना चाहिए. उस उम्र में बच्चे अपराधी बन रहे हैं. पढ़ाई के दौरान महंगे शौक,नशे की लत और कम उम्र में खुद को रौबदार दिखाने की चाहत में बच्चे गलत रास्तों पर चल रहे हैं. दुर्ग जिले में कच्ची उम्र के बच्चे खतरनाक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं.इसमें कई संगीन अपराध के मामले हैं. दुर्ग जिले में अपराधों को अंजाम देने वाले बाल अपराधी गर्लफ्रेंड को महंगे गिफ्ट,मौज मस्ती भरा जीवन जीने के कारण वारदातों में शामिल पाए गए. बाल अपराधों को लेकर जिले में पुलिस के आंकड़े मिले हैं वे बेहद चौंकाने वाले हैं.
बच्चों में बढ़ रही है अपराध की प्रवृत्ति ? :पिछले 4 वर्षों में हत्या,हत्या का प्रयास ,चोरी,अनाचार,मारपीट, अपहरण,बलवा और लूट जैसे गंभीर अपराधों में लिप्त 200 से अधिक नाबालिगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया हैं. पुलिस अधिकारी भी हैरान हैं कि आखिर पढ़ने लिखने की उम्र में बच्चे अपराध की ओर क्यों जा रहे हैं. जिले में हो रहे लगातार संगीन अपराधों में 12 से 17 वर्ष की उम्र वाले बच्चे संलिप्त हैं. अचानक बदले इस क्राइम ट्रेंड ने समाज और पुलिस दोनों की चिंता बढ़ाई हैं.
क्यों बन रहे हैं बच्चे अपराधी ? :पुलिस के मुताबिकइन बच्चों में मंहगी बाइक,मोबाइल रखने की चाहत बढ़ गई हैं. घर पर जब उनकी जरूरतें पूरी नहीं होती तब वह अपराध के रास्ते अपना रहे हैं. पढ़ने लिखने की उम्र में 45 से 50 फीसदी बच्चे अपराध की ओर जा रहे हैं. इसकी बड़ी वजह माता पिता,पारिवारिक क्लेश और नशा सामने आई है. 12 से 17 की उम्र में बच्चों की भौतिक क्षमता की मात्रा कम होती हैं. लेकिन बच्चे कम उम्र में अपनी पहचान बनाने के लिए आतुर रहते हैं.