दुर्ग :छत्तीसगढ़ पुलिस अपराधियों की धरपकड़ के अलावा अपना सामाजिक दायित्व भी बखूबी निभाती है.पुलिस बल के जवानों का हौंसला बढ़ाने में पुलिस विभाग कभी पीछे नहीं रहता.फिर चाहे जवान देश सेवा के लिए शहीद ही क्यों ना हो गया हो,उसके परिवार की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग उठाने में जरा भी कोताही नहीं बरतता. दुर्ग जिले की बात करें तो दो दिवंगत आरक्षकों के परिवार के लालन पालन की जिम्मेदारी भी पुलिस विभाग ने उठाई है.इसके लिए दो परिवारों के बच्चों को बाल आरक्षक के पद पर नियुक्त किया गया है.18 वर्ष की आयु पूरी करते ही ये दोनों बच्चे पुलिस विभाग में ट्रेनिंग के बाद सेवाएं देंगे.
5 साल का विवान बना बाल आरक्षक :दुर्ग पुलिस में अपनी सेवाएं देने वाले आरक्षक राजकुमार भास्कर का आकस्मिक निधन हो गया था.जिसके बाद उसके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा.पत्नी गृहिणी है.घर पर पांच साल का बच्चा विवान की जिम्मेदारी राजकुमार की पत्नी के जिम्मे आ गई.दुख की इस घड़ी में दुर्ग पुलिस ने परिवार के साथ खड़े रहने का आश्वासन दिया था.जिसे पूरा करते हुए पुलिस विभाग ने अपना वचन निभाया .
एसएसपी रामगोपाल गर्ग ने 5 साल के विवान भास्कर को बाल आरक्षक के पद का नियुक्ति पत्र सौंपा.इससे पहले विवान के साथ एसएसपी ने आत्मीयता के साथ बातचीत की.रामगोपाल गर्ग ने विवान से जब पूछा कि क्या तुम पुलिसवाले बनोगे.तो विवान ने मासूमियत से हां में जवाब दिया.ये शब्द सुनकर विवान की मां की आंखों में खुशी के आंसू आ गए.
बेमेतरा निवासी थे राजकुमार भास्कर :इस दौरान बाल आरक्षक की मां अंजू भास्कर ने कहा कि उनके पति आरक्षक राजकुमार भास्कर निवासी बेमेतरा के रहने वाले थे. पति की मौत के बाद 5 वर्षीय बेटे विवान भास्कर को पुलिस की नौकरी दिलाने की ठानी. बेमेतरा में पद खाली न होने पर दुर्ग जिले में पदस्थाना के निर्देश मिले. गुरुवार को दुर्ग एसएसपी रामगोपाल गर्ग ने आवश्यक कार्रवाई कराते हुए मां की उपस्थिति में पांच वर्ष के बालक को बाल आरक्षक के पद पर अनुकंपा नियुक्ति का पत्र सौंपा.