भिलाई नगर:मैत्रीबाग में अब रॉयल बंगाल टाइगर वसुंधरा की दहाड़ सुनाई नहीं देगी. शुक्रवार दोपहर उसने अंतिम सांसें ली. बाघिन पिछने कई दिनों से बीमार चल रही थी. अब मैत्री बाग में सिर्फ एक ही रॉयल बंगाल टाइगर बचा हुआ है. वसुंधरा में खून की कमी और कमजोरी के चलते मौत होना बताया जा रहा है.
रॉयल बंगाल टाइगर वसुंधरा का अंतिम संस्कार वन विभाग की मौजूदगी में हुआ अंतिम संस्कार
बाघिन का अंतिम संस्कार जू प्रबंधन ने वन विभाग की मौजूदगी में किया. जिसमें डीएफओ,एसडीओ, डिप्टी रेंजर सहित अन्य स्टाफ शामिल रहे. मैत्री बाग परिसर में ही बाघिन का अंतिम संस्कार किया गया. मैत्रीबाग में 6 साल में 6 बाघों की मौत हो चुकी हैं.
मैत्री बाग में हुआ था जन्म
मृत बाघिन वसुंधरा का जन्म मैत्री बाग में ही हुआ था. वर्तमान में मैत्री बाग में केवल एक ही रॉयल बंगाल टाइगर रह गया है. मृत बाघों में रायल बंगाल टाइगर, सफेद बाघिन कमला, सफेद बाघ सुंदर, सफेद बाघ सतपुड़ा और अब रायल बंगाल टाइगर सतपुड़ा, रॉयल टाइगर वसुंधरा शामिल है. वसुंधरा की उम्र करीब 10 साल थी.बाघों की आयु 12 से 13 साल होती है. इससे पहले भी सतपुड़ा नाम की रॉयल टाइगर की कैंसर से मौत हुई थी.
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आंध्रप्रदेश के अनंतपुर जिले के गुड़ीबंडा मंडल के रलापल्ली गांव के एक किसान ने अपने खेतों को सुरक्षित रखने के लिए एक अजीबो-गरीब तरीका इजाद किया है, जिससे खेत तो सुरक्षित हो ही रहे हैं, बल्कि आसपास के लोग भी इस तरकीब के असर को देख अचंभित हो रहे हैं. दरअसल, यहां किसान मूंगफली की फसल लगाते थे, जिसे कई बार पक्षी और बंदर जैसे कई जंगली जानवर खराब कर देते थे. इसी दौरान किसान ने एक तरीका खोज निकाला, जो कारगर साबित हो रहा है.
रलापल्ली गांव के एक किसान ने 'तेंदुआ' को अपने खेतों की रखवाली में लगा रखा है. दरअसल, ये 'तेंदुआ' किसान का एक पालतू कुत्ता है, जिसे तेंदुआ की तरह बना दिया गया. यानि की कुत्ते के शरीर पर तेंदुआ के शरीर की तरह की चित्रकारी कर दी गई है, ये कुत्ता देखने में तेंदुआ से कम नहीं लगता. कई बार रात के अंधेरे में लोग इस कुत्ते को देख सकते में पड़ जाते हैं.
जंगली जानवर कर देते थे फसल नष्ट
बताया जा रहा है कि कुछ समय पहले तक यहां की लहलहाती फसलों को कई जंगली जानवर तबाह कर देते थे. यहां किसान मूंगफली की फसल लगाते थे, जिसे कई बार पक्षी और बंदर जैसे कई जंगली जानवर खराब कर देते थे. ऐसा कई हुआ, जब मूंगफली की फसल बर्बाद हो गई. साथ ही किसान की रात-दिन की कड़ी मेहनत पर भी पानी फिर जाता.