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8वीं पास पिता ने ऐसा ट्रेंड किया कि 3 साल का बेटा बन गया 'गूगल ब्वॉय' - Google boy of Chhattisgarh

तीन साल का बच्चा क्या करता होगा ? घर में खिलौने के साथ खेलना, दौड़ लगाना, दोस्तों के साथ मस्ती करना. बहुत हुआ तो आपको अल्फाबेट पढ़ कर सना देगा या कोई राइम. लेकिन हम आपको ऐसे बच्चे से मिलवाने जा रहे हैं, जिसे मंत्रियों, विधायकों के नाम याद हैं. जिसे विज्ञान, इकॉनॉमी के बारे में नॉलेज है. चलिए मिलिए नन्हे जीनियस से और दांतों तले उंगली दबा लीजिए.

three and a half years old Himanshu Sinha is Google boy in durg
गूगल ब्वॉय हिमांशु सिन्हा

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Published : Feb 10, 2021, 1:58 PM IST

दुर्ग: साढ़े तीन साल का हिमांशु सिन्हा किसी गूगल ब्वॉय से कम नहीं है. हिमांशु से जब कोई भी सवाल पूछा जाए तो वह वंडर किड में बदल जाता है. साधारण दिखने वाले हिमांशु की प्रतिभा असाधारण है. तोतली बोली में हिमांशु देश, दुनिया, राजनीति, विज्ञान से जुड़े हर सवाल का जवाब देता है. मामूली बस कंडक्टर के इस बेटे को ढाई हजार से अधिक शब्दों की जानकारी है.

गूगल ब्वॉय हिमांशु सिन्हा

चलता फिरता इनसाइक्लोपीडिया है हिमांशु

पैरेंट्स के साथ हिमांशु

गूगल बॉय हिमांशु का ज्ञान आप इस बात से लगा सकते हैं कि उसे दुनिया के कई देशों के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपतियों के नाम जुबानी याद हैं. इसके अलावा भारत के सभी राज्यों की राजधानी, कई मशहूर हस्तियों के नाम, दिवस विशेष, खेल, राजनीति, भूगोल और गणित के कठिन सवालों के भी जवाब वह तुरंत देता है. इतना ही नहीं गुलाम भारत की आजादी के लिए लगाए नारे कब किसने दिया ये भी हिमांशु को पता है. हिमांशु की इस विलक्षण प्रतिभा को परखते हुए आठवीं पास पिता राजू सिन्हा ने उसे चलता फिरता इनसाइक्लोपीडिया बना दिया है. ठीक से बोलना भी नहीं सीखा बच्चा अब तुतलाती आवाज में सब कुछ बताता है तो लोग दांतों तले उंगलियां दबाने को मजबूर हो जाते हैं.

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छत्तीसगढ़ के 90 विधायकों के नाम भी है याद

गूगल ब्वॉय हिमांशु सिन्हा

महज साढ़े तीन साल का हिमांशु बहुत ही तेज है. बच्चे के ज्ञान के सामने बड़े से बड़े छोटे हो जाते हैं क्योंकि इस मासूम की याददाश्त के आगे बड़े बड़ों का सामान्य ज्ञान भी जीरो हो जाता है. हिमाशु को छत्तीसगढ़ के तमाम विधायकों के नाम याद है.

बस कंडक्टर हैं हिमांशु के पिता

हिमांशु के पिता राजू सिन्हा कांकेर के रहने वाले हैं. काम की तलाश में दुर्ग आए और यहां बस कंडक्टर का काम करते हैं. राजू बताते हैं कि जब हिमांशु आठ माह का था उसी समय उसकी विलक्षण प्रतिभा दिखने लगी. हर बात को वह ध्यान से सुना करता था. हिमांशु जिस बात को एक बार सुन लेता वह महीनों तक उसे नहीं भूलता. क्रमवार दोहरा देता था. ऐसे में पहले छत्तीसगढ़ और फिर भारत की प्रसिद्ध चीजों के बारे में पढ़ाना शुरू किया.

मदद की दरकार ताकि प्रदेश का नाम हो सके रोशन

अपनी उम्र के बच्चों से 100 गुना ज्यादा तेज दिमाग और मेमोरी पावर रखने वाले हिमांशु के पिता ने बताया कि उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है. ऐसे में बेटे की प्रतिभा को मंच देने के लिए उनके पास कोई सुविधा नहीं है. यदि शासन प्रशासन इस होनहार बच्चे की मदद करे तो हिमांशु प्रदेश का नाम देश दुनिया तक रोशन कर सकता है.

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