दुर्ग:काश ऐसे ही मंदिर पूरे देश में होते और पेड़ों को काटने की बजाए लोग पूजा-अर्चना कर सहेज लेते. आपने भगवान के कई मंदिरों के बारे सुना होगा, उनकी महिमा पर विश्वास करते होंगे लेकिन पर्यावरण के मंदिर के बारे में कम ही जानते होंगे. तो चलिए छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के पाटन के अमेरी गांव, जहां गांव के पुजारी बाबा और यहां रहने वाले लोगों ने पर्यावरण का मंदिर बना दिया है.
यहां हरे-भरे पेड़ देखकर आप को लग रहा होगा कि यह कोई पर्यावरण विभाग का वृक्षरोपण कार्यक्रम का हिस्सा है लेकिन ये पौधे अपने आप में जीवित देवता माने जा रहे हैं. अमेरी गांव पर्यावरण संरक्षण की मिसाल पेश कर रहा है. पेड़ों की श्रृंखला से मंदिर बनाया गया है, पेड़ों की छांव में देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी गई हैं. खास बात ये है कि यहां दूर-दूर से लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं.
ऐसे शुरू हुआ मंदिर बनाना
अमेरी गांव में लग्भग 20 साल पहले यहां के पुजारी बाबा ने छोटे छोटे पौधों को इकट्ठा कर इसे एक कतार में लगाना शुरू किया और यहीं पूजा अर्चना शुरू कर दी. जिसे देखकर यहां के लोगों ने पुजारी का सहयोग किया और इस जगह पर मानव मुख की आकृति में पेड़ लगाकर पर्यावरण धाम का नाम दिया गया.