दुर्ग: भिलाई इस्पात संयंत्र ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाते हुए अपनी उत्कृष्टता सिद्ध की है. संयंत्र के प्लेट मिल ने 13वीं बार मेसर्स मिश्र धातु निगम (मिधानी) के प्रदत्त एमडीएन-250 के 10 स्लैब्स से 20 प्लेट की सफलतापूर्वक रोलिंग की है. रोलिंग की गई मिधानी स्लैब्स के इस प्लेट का प्रयोग अब भारत के प्रथम मानवयुक्त उपग्रह मिशन कार्यक्रम गगनयान के प्रक्षेपण के लिए किया जाएगा.
इसरो की यह एक महत्वकांक्षी योजना
भिलाई इस्पात संयंत्र ने गगनयान परियोजना भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का एक महत्वाकांक्षी परियोजना है. जिसके माध्यम से प्रथम मानवयुक्त उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. इसरो का यह स्पेस क्राफ्ट प्रोग्राम वर्ष 2022 में होने की संभावना है. इस महत्वपूर्ण परियोजना में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) भी इसरो को अपनी तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान कर रहा है. मिश्र धातु निगम लिमिटेड, हैदराबाद की ओर से प्रदत्त स्लैब की रोलिंग भिलाई के प्लेट मिल में एक बार फिर सफलतापूर्वक किया गया.
बीएसपी के प्लोटों का उपयोग सेटेलाइट प्रक्षेपण में
पूर्व सयंत्र ने 20 अक्टूबर 2020 को एमडीएन स्लैब्स की रोलिंग की थी. भिलाई के प्लेट मिल में नियमित अंतराल में इन स्लैब्स को 9.3 मिलीमीटर की मोटाई में सफलतापूर्वक रोलिंग किया जा रहा है. इन प्लेटों का उपयोग देश के महत्वपूर्ण अंतरिक्ष कार्यक्रम के सेटेलाइट प्रक्षेपण में किया जा रहा है. पीएसएलवी के बाहरी मोटर आवरण और इसरो के जीएसएलवी सेटेलाइट प्रक्षेपण वाहनों में किया गया है. इसमें चन्द्रयान प्रक्षेपण के लिए उपयोग किए जाने वाले एसएलवी भी शामिल है. ये प्लेट उच्च ताप को सहने की क्षमता रखते हैं. इन प्लेटों की रोलिंग अत्यंत ही चुनौतीपूर्ण होती है. इन शक्तिशाली स्पेशल प्लेटों की विशेषता यह है कि ये उच्च ताप को सहने की क्षमता रखते हैं.