दुर्ग: करगिल युद्ध (Kargil War) में भिलाई के वीर सपूत कौशल यादव की वीरता को आज पूरा देश सलाम कर रहा है. 1999 के ऑपरेशन विजय (Operation Vijay) के दौरान कौशल यादव ने अकेले 30 पाकिस्तानी सैनिकों (Pakistani soldiers) का मुकाबला किया और उन्हें जुलु टॉप की चोटी पर धूल चटाई. देश के लिए लड़ते लड़ते उन्होने सर्वोच्च बलिदान दिया और शहीद हो गए. परिवार वालों के साथ साथ पूरे देश को उनकी वीरता और साहस पर गर्व है. करगिल युद्ध की जब भी बात होती है.
शहीद कौशल यादव (Martyr Kaushal Yadav) की शहादत का जिक्र जरूर होता है. परिवार वाले बताते हैं कि कौशल यादव को बचपन से सेना में जाने का शौक था. वह स्कूल के दिनों से ही सेना के बारे में जानकारी जुटाया करते थे. पढ़ाई लिखाई से ज्यादा उन्हें खेल कूद में रूचि थी. उन्होंने बचन से ही सेना में जाने की तैयारी शुरू कर दी थी. स्कूली पढ़ाई लिखाई के बाद जब कौशल यादव बीएससी फर्स्ट इयर में थे तभी उनका चयन भारतीय सेना में हो गया.
कौशल यादव को इंडियन आर्मी (Indian army) के नाइन पैरा यूनिट में उन्हें जगह मिली. साल 1989 में उन्होंने नाइन पैरा यूनिट उधमपुर में तैनाती मिली. साल 1999 के करिगल युद्ध में उन्हें जुलु टॉप में ऑपरेशन विजय की कमान मिली. कौशल यादव को जुलु टॉप को पाक सैनिकों के कब्जे से मुक्त कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. 25 जुलाई 1999 को कौशल यादव ने अपने साथियों के साथ मिलकर जुलु टॉप में पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए. उन्होंने अकेल 30 दुश्मनों को पस्त किया.