दुर्ग: कोरोना काल में हमने देखा कि लोग अपनों के अंतिम संस्कार से भी दूर भाग रहे थे. हमने देखा की कई लोगों की मौत को बाद उन्हें अंतिम विदाई के दौरान अपनों का साथ नहीं मिला. यहां तक की कई लोगों की अस्थियां तक परिजन नहीं ले गए. लेकिन ये सब कोरोना काल में हुआ. बता दें ऐसा नहीं है. दुर्ग में कोरोना के ही नहीं बल्कि 2004 से लोग अपनों की अस्थियां नहीं ले जा रहे हैं. कई सालों से मृतकों की अस्थियां मुक्तिधाम के अस्थि कक्ष में अपने परिजनों का इंतजार कर रही है. 17 सालों से परिजन की तरफ से अस्थियां नहीं ले जाने से अब मुक्तिधाम के संचालक ने निगम को नोटशीट तैयार कर भेज दिया है.
2004 से 2016 तक की 29 अस्थियां मौजूद
ट्विनसिटी भिलाई के रामनगर मुक्तिधाम में 2004 से लेकर 2016 तक की अस्थियों को अस्थि कक्ष में बाकायदा कलश में सहेज कर रखा गया है. पिछले 17 सालों से यहां 29 अस्थियां मोक्ष का इंतजार कर रही है. सालों से मुक्तिधाम की आलमारी में रखी इन अस्थियों को लेकर तब दिक्कतें शुरू हुई है. कोरोना काल में रोजाना दर्जनों लोगों की मौत हो रही थी. कोरोना से मृत लोगों की अस्थियों को रखने के लिए जब जगह कम पड़ने लगी थी. जिसके बाद मुक्तिधाम प्रभारी ने सालों से रखी अस्थियों को अलग से चिन्हित किया. सभी अस्थियों को एक-एक थैले में रखकर एक तरफ रखा गया है.
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परिजन नहीं आए अस्थियां लेने
मुक्तिधाम के प्रभारी कृष्णा देशमुख ने बताया कि अस्थि कक्ष में सालों से अस्थियां रखी हुई है. कुछ अस्थियों के कलश पर मृतकों के नाम लिखे हुए हैं. उसमें तारीख भी लिखी हुई है. लेकिन 14 अस्थियों के कलश पर तो नाम भी नहीं लिखा हुआ है. ऐसे में परिजनों से संपर्क कर पाना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने बताया कि वह 2008 से मुक्तिधाम का कार्यभार संभाल रहे हैं. उसके बाद से लेकर अब तक की अस्थियों में नाम है. लेकिन परिजन ही अस्थियां लेने नहीं आए. जिसकी वजह से लंबे समय से ये अस्थियां मुक्तिधाम में ही रखी हुई हैं.