दुर्ग: नगर निगम के चुनाव में प्रत्याशियों के नाम के एलान के बाद अब नामांकन की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है. वहीं टिकट न मिलने से कई दावेदारा बेहद नाराज हैं. इसमें कई जुझारू उम्मीदवारों को महनत करने के बाद भी टिकट नहीं मिला उससे वे काफी हताश हैं. टिकट कटने के बाद प्रत्याशियों ने अब निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला ले लिया है. वार्ड के प्रबल दावेदारों का टिकट काटकर दूसरे उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारने का आरोप है.
उम्मीदवारों की घोषणा के बाद दूसरे उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारने का आरोप अपने ही पार्टी के बागियों से सामना
दुर्ग नगर निगम में 60 वार्डों में दोनों राष्ट्रीय पार्टी के प्रत्याशियों के साथ उनका सामना अपने ही पार्टी के बागियों से हो सकता है. 60 वार्डों में से 13 भाजपा और 8 कांग्रेस से बागी निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में होंगे. भले ही पार्टी के बड़े नेता बागियों को मना लेने की बात कह रहे हैं पर बागी भी अपनी पार्टी को सबक सिखाने चुनावी मैदान में कमर कस चुके हैं.
बीजेपी नेताओं की बगावत
बीजेपी से बगावत करने वाले वार्ड नंबर 21 के अरुण सिंह ने कहना है कि वार्डों में पिछले 5 सालों में कई विकास कार्य किये गए हैं, जिनकी वार्ड के लोगों ने तारीफ की है. लेकिन मेरा कार्य बड़े नेताओं को नहीं दिखा. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि दुर्ग जिले में एक बड़े नेता की ही चली है, उन्होंने अपने चहेतों को पार्टी का टिकट दिया है, मैं दूसरों की तरह चापलूसी करना नहीं जानता इस वजह से दुर्भावनावश मेरा टिकट काट कर अपने खास को दिया गया है. उन्होंने कहा कि मैं दूसरों की तरह उनके घर के दरवाजों पर बैठकर उनके इशारे पर काम नहीं कर सकता. भाजपा की विचारधारा की वजह से मैं पार्टी से जुड़ा हूं और अंत तक उसी विचारधारा का हिस्सा रहूंगा.
कांग्रेस नेताओं की बगावत
कांग्रेस पार्टी में सक्रिय राजनीति करने वाले कार्यकर्त्ता कांग्रेस पार्टी के प्रदेश सचिव विल्सन डिसूजा ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देकर वार्ड नंबर 8 तकिया पारा से निर्दलीय चुनाव लड़ने की ठान ली है. डिसूजा ने पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि चयन समिति के सदस्यों और विधायक अरुण वोरा के चहेते और धनबल से खुश रखने वाले लोगों को टिकट दिया है. मैं 2 बार पार्षद चुनकर आ चुका हूं लंबे समय से टिकट की मांग कर रहा हूं, कांग्रेस के लिए हर मोर्चे पर मैंने अपनी भूमिका निभाई है पर मुझे मौका न देकर पार्टी ने कार्यकर्ता के साथ अन्याय किया है.
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बहरहाल दोनों ही पार्टी के बड़े नेता अब बागियों की खुशामदी में जुटे हैं और 9 तारीख नाम वापसी के पहले किसी भी लुभावने आश्वासन का उपयोग कर अपने बागियों को मनाने का दौर जारी हो चुका है.