दुर्ग: कोरोना की दूसरी लहर (corona second wave) में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं पटरी पर लौटने का नाम नहीं ले रही हैं. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मार्केट में कोरोना से संबंधित उपकरण या गैजेट्स की डिमांड बढ़ने के साथ ही इसके दाम भी आसमान छू रहे हैं. 600 रुपए में मिलने वाला पल्स ऑक्सीमीटर 1500 से ढाई हजार रुपए तक में मिल रहा है.
पल्स ऑक्सीमीटर के दाम छू रहे आसमान, 600 रुपए की जगह ढाई हजार में बिक रहा दवाइयां पर्याप्त, लेकिन ऑक्सीमीटर की कमी नहीं
छत्तीसगढ़ में कोरोना (corona in chhattisgarh) ने अप्रैल माह में खूब तबाही मचाई है. संक्रमितों के साथ ही मौतें भी सबसे अधिक हुई. अकेले दुर्ग जिले में कोरोना ने अप्रैल में 634 लोगों को निगल गया. इसके साथ ही 46 हजार लोग संक्रमित हुए. वर्तमान में कोरोना की रफ्तार जरूर कम हुई है. लेकिन अभी भी मार्केट कोरोना से जुड़े उपकरण नहीं मिल रहे हैं. दुर्ग जिले में पर्याप्त मात्रा में दवाइयां उपलब्ध हैं, लेकिन ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर, वेपोराइजर समेत दूसरे उपकरण के दाम आसमान छू रहे हैं.
दिल्ली से नहीं पहुंच रहा माल, कीमतों में हुई वृद्धि
भिलाई के मेडिकल संचालक शोएब मोहम्मद बताते हैं कि मरीजों को सरकार की ओर से मेडिकल किट दी जा रही है, लेकिन उन्हें बाहर से ऑक्सीमीटर, वेपोराइजर और थर्मामीटर खरीदना पड़ रहा है. जिसकी अभी मार्केट में बहुत ज्यादा शॉर्टेज है. वेपोराइजर को जिस दाम में हम बेचते थे आज उतनी ही कीमतों पर हम खरीद कर ला रहे हैं. दिल्ली से माल आना बंद हो चुका है, जिसकी वजह से शॉर्टेज है. सबसे ज्यादा ऑक्सीमिटर के लिए लोग आ रहे हैं. पहले यह 600 रुपए से स्टार्ट होता था, लेकिन माल की कमी की वजह से वर्तमान में इसकी कीमत 1500 से ढाई हजार रुपए तक हो गई है.
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ऑक्सीमीटर का दाम चार गुना बढ़ा
कोरोना से जंग जीतकर लौटे अर्जुन शर्मा ने ईटीवी भारत को बताया कि जिले में दवाइयां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, मेडिकल स्टोर्स में डॉक्टर की पर्ची दिखाने पर ही दवाइयां दी जा रही हैं. चाहे कोविड से संबंधित दवाई हो या सप्लीमेंट्स. पर्ची दिखाना जरूरी है. उन्होने बताया कि होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों को ऑक्सीमीटर जरूरी है. ऑक्सीमिटर से ऑक्सीजन की रीडिंग भेजना होता था. जिसकी वजह से ऑक्सीमीटर की डिमांड जिले में बढ़ गई. पहले ऑक्सीमिटर 500 से 600 रुपए में आसानी से मिल जाता था, लेकिन अब मेडिकल स्टोर्स में मिलना मुश्किल हो गया है. इसकी कीमत भी तीन से चार गुना बढ़ गई है.
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बिना पर्ची नहीं मिल रही दवाई
27 मार्च को ड्रग कंट्रोल विभाग ने बिना पर्ची की दवाई देने वाले 5 मेडिकल स्टोर्स पर कार्रवाई की थी, जिसके बाद से जिले के मेडिकल स्टोर संचालकों ने दवाई के लिए पर्ची अनिवार्य कर दिया. ट्विनसिटी के प्रदीप बताते हैं कि अप्रैल के शुरुआत में दवाई की दिक्कतें हुईं. उन्होंने बताया कि मेडिकल स्टोर संचालक बिना डॉक्टर के पर्ची के दवाई नहीं दे रहे हैं. पर्ची दिखाने पर ही दवाई मिल रही है, लेकिन ऑक्सीमिटर को लेकर दिक्कतें हुई हैं. कई मेडिकल स्टोर्स के चक्कर काटने के बाद ऑक्सीमीटर और भाप की मशीन मिल पाई.
कोरोना संक्रमितों को उपलब्ध करा रही है निःशुल्क दवा
कोरोना संक्रमितों को प्रशासन दवाई मुहैया करा रही है. शासकीय अस्पतालों या शासकीय कोविड केयर सेंटरों में उपचार कराने आए मारिजों को निःशुल्क उपचार किया जा रहा है. इसके साथ ही होम आइसोलेशन के मरीजों को प्रशासन ने दवाई की किट निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है. जिसमें डॉक्सीसाइक्लिन, पेरासिटामोल, विटामिन-सी, आइवरमेक्टिन और जिंक टेबलेट शामिल है.