बालोद: जिले के दल्ली राजहरा बीएसपी माइंस में आज अपनी विभिन्न मांगों को लेकर ठेका श्रमिकों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल (Bhilai Steel Plants contract workers strike) की शुरुआत कर दी. जिसमें से कई ऐसी मांगी थी, जिसको लेकर वे लगातार प्रबंधन से चर्चा कर रहे थे और प्रबंधन ने उन्हें आश्वासन भी दिया था. परंतु ठेका श्रमिकों को लेकर केवल आश्वासन मात्र दिए जा रहे थे. हड़ताल के बाद 4:00 बजे बातचीत शुरू हुई और कई मांगों पर सहमति बनी. जिसके बाद हड़ताल खत्म किया गया.
सहमति नहीं कर रहे थे लागू:ठेका श्रमिक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष ज्ञानेंद्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि "जब जनवरी माह में ठेका श्रमिकों ने हड़ताल किया था, तो उन्हें माइंस भत्ता नाइट भत्ता इत्यादि देने की बात कही गई थी. परंतु इस को लेकर प्रबंधन द्वारा किसी भी तरह का कोई कार्रवाई नहीं की जा रही थी. जिससे प्रबंधन को लेकर ठेका श्रमिक काफी नाराज थे और उसी के चलते हड़ताल किया जा रहा था.
राजहरा बीएसपी माइंस में ठेका श्रमिकों की हड़ताल, प्रोडक्शन हुआ प्रभावित
दल्ली राजहरा बीएसपी माइंस में शुक्रवार को अपनी विभिन्न मांगों को लेकर ठेका श्रमिकों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी. जिसके चलते आज भिलाई स्टील प्लांट में प्रोडक्शन कार्य पूरी तरह प्रभावित रहा.
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मेडिकल सुविधा दी जाएगी:प्रबंधन द्वारा ठेका श्रमिकों को मेडिकल सुविधाएं देने को लेकर सहमति बनी है. श्रमिकों की मांग थी कि श्रमिक मजदूरों के साथ-साथ उनके पूरे परिवार को मेडिकल सुविधाएं दी जाए. जिसको लेकर प्रबंधन ने अपनी सहमति दी है और इसके लिए पत्र उच्च स्तरीय अधिकारियों को भी भेजा गया है.
प्रोडक्शन रहा प्रभावित:ठेका श्रमिकों के हड़ताल के कारण आज माइंस में प्रोडक्शन कार्य पूरी तरह प्रभावित रहा. पहली पाली के सभी ठेका श्रमिक हड़ताल पर थे, वहीं दूसरी पाली के समय लगभग 4:00 बजे प्रबंधन से चर्चा शुरू हो गई थी. जिसके बाद दूसरी पाली का कार्य प्रभावित नहीं हुआ और ठेका श्रमिक वापस अपने काम पर लौट गए. आपको बता दें कि लगभग 4:00 बजे तक लाखों रुपए का प्रोडक्शन कार्य प्रभावित हुआ है.
राजहरा पर निर्भर भिलाई इस्पात संयत्र: छत्तीसगढ़ के विख्यात भिलाई इस्पात संयंत्र, जो पूरी तरह दल्ली राजहरा खदानों पर निर्भर है. यहां पर हजारों ठेका श्रमिक कार्य करते हैं, पूर्व में यहां पर नियमित बीएसपी की तरफ से कर्मचारी रखे थे. बाद में धीरे-धीरे यहां ठेका पद्धति चालू हुई और आज सभी सभी श्रमिक ठेका पद्धति से कार्य कर रहे हैं. परंतु उनकी कई मांगे रहती है और इन मांगों पर यदि सहमति ना बनी और दल्ली राजहरा का खदान का कार्य प्रभावित हुआ, तो इससे भिलाई इस्पात संयंत्र को भी करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचता है.