दुर्ग: दुर्ग केंद्रीय जेल (Central Jail Durg) में चचेरे भाई का अपहरण करने के मामले में आजीवन कैद की सजा काट रहे ज्ञानचंद विश्वकर्मा रिहा हो गए. इसी तहर पत्नी की हत्या में कैद की सजा पूरी करके मनोज धर्मदास की भी रिहाई हो गई है. ज्ञानचंद ने जेल में सजा काटने के दौरान स्क्रीन और ऑफसेट प्रिंटिंग का काम सीखा है. ज्ञानचंद विश्वकर्मा का कहना है कि "वह सरकारी योजना की मदद से प्रिंटिग का व्यवसाय शुरू करेंगे". वहीं मनोज ने बताया कि "उसने जेल में रहकर बैंड बजाना सीखा है. इसके बाद उसे एक बार राज्योत्सव कार्यक्रम के दौरान बैंड बजाने का अवसर मिला था. वह भी अपना बैंड तैयार करेगा. सरकारी मदद नहीं मिली तो खेती किसानी करेंगे".
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दुर्ग जेल अधीक्षक योगेश सिंह क्षत्रिय (Durg Jail Superintendent Yogesh Singh Kshatriya) ने कहा "दोनों बंदियों ने जेल में सजा काटने के दौरान पैसे भी जुटाए हैं. एक के बैंक खाते में 24 हजार तो दूसरे के अकाउंट में 48 हजार रुपये जमा है."
दुर्ग सेंट्रल जेल कैदियों को दे रहा नया जीवन शिक्षा के प्रति बंदियों का बढ़ रहा रुझान:सेंट्रल जेल दुर्ग में सजा काट रहे बंदियों में भी अब शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ रहा है. वह जेल में रहते हुए ही अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. जिससे कि जब उनका कारावास पूरा हो जाए तो वह बाहर आकर शिक्षा के माध्यम से रोजगार कर सकें. जेल प्रशासन के अनुसार 18 बंदियों ने इग्नू के माध्यम से बीए फर्स्ट ईयर की पढ़ाई कर रहे हैं. साथ ही जेल में शिक्षा विभाग के सहयोग से कक्षा पहली से कक्षा आठवीं तक 61 कैदियों ने स्कूली शिक्षा ली है. इनमें पुरुष बंदी 44 और 17 महिला बंदी शामिल हैं जिन्होंने पढ़ाई करने के बाद अभी हाल में परीक्षा दी है.
दुर्ग जेल में कैदी कर रहे हैं पढ़ाई:जेल अधीक्षक योगेश सिंह क्षत्रिय ने कहा कि इसके अलावा दो विचाराधीन बंदी न्यायालय के निर्देश पर दुर्ग विश्वविद्यालय के बीकॉम और बीएससी की परीक्षा में सम्मलित हो रहे हैं. सेंट्रल जेल दुर्ग में कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी प्रतिभाओं को निखारने का काम भी किया जा रहा है. जेल में लाइब्रेरी भी बनाई गई है. जहां किताबों से लेकर बंदी स्कूल-कॉलेजों के अलावा महापुरुषों की जीवनी भी पढ़ रहे हैं. कैदी एक-दूसरे को शिक्षित करते हैं.
जेल प्रशासन की मानें तो जेल में उच्च शिक्षा की पढ़ाई करने वाले कैदी स्कूली शिक्षा लेने वाले कैदियों को पढ़ाते हैं. साथ ही जेल में कैदियों को मनोरजंन के लिए टीवी चेस, कैरम बोर्ड जैसी चीजें भी उपलब्ध कराई जाती है. सेट्रल जेल दुर्ग अधीक्षक योगेश सिंह क्षत्रिय ने बताया कि " कैदियों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिससे वे अपराध से दूर रहकर समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें"