दुर्ग:कोरोना पॉजिटिव प्रसूता का नॉन कोविड अस्पताल में प्रसव कराए जाने के मामले में जिला प्रशासन ने कार्रवाई की है. प्रसव कराने वाले निजी हॉस्पिटल पर जुर्माना लगाए जाने के साथ ही अस्पताल का पंजीयन निरस्त करने नोटिस जारी किया गया है. प्रसूता को निजी अस्पताल ले जाकर भर्ती कराने वाले एंबुलेंस चालक को बर्खास्त करने और सिविल सर्जन को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
स्वास्थ्य विभाग ने निजी अस्पताल को जारी किया नोटिस 15-16 दिसंबर को बालोद जिले से एक प्रसूता को डिलवरी के लिए जिला अस्पताल दुर्ग लाया गया था. जांच में प्रसूता की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी. इसके बाद उसे रायपुर रेफर कर दिया गया. इस बीच प्रसूता को दुर्ग के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाकर उसकी डिलवरी करा दी गई. मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने जांच के आदेश दिए और तीन महिला अफसरों को जांच की जिम्मेदारी सौंपी. अफसरों ने जांच के बाद रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप दी.
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अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी
कलेक्टर कार्यालय ने उक्त रिपोर्ट सीएमएचओ कार्यालय को प्रेषित कर कार्रवाई के संबंध में अप्रूवल मांगा था. मामले में संबंधित पक्षों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई थी. सीएमएचओ गंभीर सिंह ठाकुर ने बताया कि कलेक्टर ने कोरोना पॉजिटिव महिला का नॉन कोविड अस्पताल में इलाज करने, तथ्यों को छुपाने के आरोप में अस्पताल पर 20 हजार रुपए जुर्माना के साथ ही अस्पताल का पंजीयन निरस्त करने का नोटिस जारी किया है. अस्पताल प्रबंधन को नोटिस का जवाब देने के लिए 1 महीने का समय दिया गया है. तय समय सीमा तक नोटिस का जवाब नहीं देने पर अस्पताल का पंजीयन निरस्त करने कि कार्रवाई की जाएगी.
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स्वास्थ्य विभाग पर खड़े हो रहे सवाल
स्वास्थ्य विभाग एम्बुलेंस चालक पर कार्रवाई कर अपनी पीठ थपथपा रही है, लेकिन एक एम्बुलेंस के ड्राइवर के द्वारा अकेले मरीज को सरकारी अस्पताल से प्राइवेट अस्पताल में शिफ्ट करने का खेल में बिना किसी बड़े अधिकारी और डॉक्टर की मदद से संभव नही है. इस पूरे खेल में कई बड़े डॉक्टर और अधिकारी शामिल हो सकते हैं. अस्पताल में प्रसूता वार्ड में पदस्थ नर्स और डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग पर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं.