दुर्ग: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में कोरोना मरीजों की मौत का आंकड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है. रोजाना 20 से ज्यादा लोगों की जान जा रही है. कई ऐसे केस सामने आए हैं जिनमें मरीजों को अस्पताल मिला तो बेड नहीं मिला या बेड मिला तो ऑक्सीजन के लिए तरस गए. कोरोना से मरने वालों की मेडिकल केस हिस्ट्री देखें तो इससे भी साफ होता है कि ज्यादातर मरीज सांस संबंधी दिक्कत से मौत का शिकार हो रहे हैं. लेकिन सीएमएचओ का कहना है कि लोग ऑक्सीजन लेलव बहुत डाउन होने के बाद अस्पताल पहुंच रहे हैं, जिससे उनको बचाना मुश्किल हो जाता है. अधिकारी ने दावा किया है कि ऑक्सीजन की कमी नहीं है.
पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन, फिर भी मौत
दुर्ग जिले में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है. इसमें सिर्फ सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के संचालित ऑक्सीजन प्लांट-2 में रोजाना 25 टन मेडिकल ऑक्सीजन और मेसर्स प्रॉक्स एयर से 240 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है. इस प्रकार भिलाई इस्पात संयंत्र प्रतिदिन 265 टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहा है. हालांकि जिले में बेड फुल हैं और लोगों को भर्ती होने में परेशानी हो रही है.
ऑक्सीजन लेवल कम होने पर पहुंच रहे मरीज
दुर्ग जिले में लगे लॉकडाउन की वजह से संक्रमण की दर में गिरावट देखी जा रही है. साथ ही रिकवरी रेट भी बेहतर हुआ है, लेकिन मौत के आंकड़े कम नहीं हो रहे हैं. दुर्ग सीएमएचओ डॉक्टर गंभीर सिंह ठाकुर ने बताया कि जिले में ऑक्सीजन की कमी नहीं है. रोजोना ऑक्सीजन बेड की संख्या भी बढ़ाई जा रही है. लेकिन लोगों की लापरवाही मौत का कारण बनती जा रही है. उन्होंने बताया कि हर रोज 3 से 4 प्रतिशत मरीज ऑक्सीजन लेवल जब 50 से 60 प्रतिशत हो जाता है, उसके बाद अस्पताल पहुंच रहे हैं. ऐसी स्थिति में उनको बचा पाना मुश्किल होता है.