दुर्ग :छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में एक ऐसा गांव है, जहां देश के अलावा विदेशों से भी आकर गौ वंशों की भूलवश हत्या के महापाप से मुक्ति के लिए लोग पहुंचते हैं. हम बात कर रहे हैं दुर्ग जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर अहिवारा के निकट स्थित गौ तीर्थ गांव के नाम से प्रसिद्ध बानबरद की. इस गांव में घुसते अनायास ही आपको गोकुल-सा नजारा दिख जाएगा. हर तरफ गाय ही गाय नजर आने लगेगी. इस गांव की विशेषता यह है कि यहां एक ऐसा मंदिर है, जो भूलवश किये गए गौ हत्या के महापाप से मुक्ति दिलाता है. अनजाने में हुई गौ हत्या के महापाप से मुक्त होने लोग इस मंदिर में पहुंचते हैं. यह देश का एक मात्र ऐसा मंदिर है. भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की आठ भुजाओं वाली मूर्ति इस मंदिर में स्थापित है, जो यहां की विशेषता है. इसका उल्लेख वेद और पुराणों में भी है.
भगवान श्रीकृष्ण ने बाणासुर को बताया था मंदिर का माहात्म्य
इस मंदिर का महात्म्य खुद भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) ने राक्षस बाणासुर को बताया था. मंदिर के बिल्कुल पास में ही पापमोचन कुंड भी है. ऐसी मान्यता है कि यहां स्नान करने के बाद गौ हत्या के महापाप से व्यक्ति मुक्त हो जाता है. गौ हत्या आध्यात्मिक नजरिये से सिर्फ महापाप ही नहीं बल्कि कानूनन भी घोर अपराध है. विशेषकर हिन्दू धर्म में गौ को माता की तरह पूजा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अनजाने में हुई गौ हत्या के महापाप से मुक्ति पाने लोग विधि-विधान से यहां गौ की पूजा कर पाप मोचन कुंड में स्नान करते हैं. कुंड में स्नान करने पर उन्हें इस महापाप से मुक्ति मिलती है.
पुराण में भी है इस पाप मोचन कुंड का उल्लेख