दुर्ग: असफल छात्र-छात्राओं की अधिक संख्या ने जिला शिक्षा विभाग की चिंता बढ़ा दी है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि बोर्ड कक्षाओं की प्रायोगिक परीक्षा शुरू हो गई है. आने वाले दिनों में प्री-बोर्ड परीक्षाएं होनी हैं. इस तरह आने वाले दिनों में उनकी नियमित कक्षाएं लगने की संभावनाएं कम हैं. लेकिन फिर भी शिक्षा विभाग द्वारा बच्चो के अच्छे नतीजे को लेकर गंभीर है.
लगाई जाएगी अतिरिक्त क्लास:जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी अभय जायसवाल ने बताया कि "अर्धवार्षिक परीक्षा के नतीजे को देखते हुए बच्चों को अतिरिक्त क्लास लेकर और छुट्टी के दिनों में भी पढ़ाकर उसकी भरपाई करने की बात कह रहे हैं. अधिकतर स्कूलों में इस पर अमल होना भी शुरू हो गया है. छात्र-छात्राओं को पिछले वर्षों के प्रश्न पेपर हल करवाए जा रहे हैं. महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर अलग से तैयार करवा रहे हैं और लगातार होमवर्क भी दिया जा रहा है."
कोरोनाकाल में स्कूल में नहीं हुई ऑफलाइन क्लास:कोरोना महामारी के चलते 2 सालों से स्कूल में पढ़ाई प्रभावित थी. वहीं इस संक्रमण काल में स्कूली बच्चो परीक्षाएं भी ऑनलाइन ली गई या प्रोजेक्ट और असाइनमेंट देकर ली गई. इस दौरान पाठ्यक्रमों को भी घटाकर 60 फीसदी तक ही रखा गया था. अब स्थिति सामान्य होने पर पूरे पाठ्यक्रम पढ़ाने के निर्देशित किया गया है. ऑफलाइन परीक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रश्न पत्र सेट करना है. लेकिन कई शिक्षक प्रश्न पत्र ही सेट करना भूल गए हैं. इसीलिए शिक्षकों का भी रिफ्रेशर कोर्स का आयोजन बहुद्देशीय स्कूल में पिछले दिनों किया गया था. वहां उन्हें ऐसे प्रश्न पत्र बनाने का प्रशिक्षण दिया गया. जिससे अधिक से अधिक छात्र पास हो सकें. लेकिन बच्चे दिए गए प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पाए.
बच्चों की बेसलाइन परीक्षा की गई अयोजित:दशहरा और दीपावली त्योहार के ठीक पहले 9वीं से लेकर 12वीं तक के विद्यार्थियों की बेसलाइन परीक्षा ली गई थी. जिसमें 60 फीसदी छात्रों की दक्षता कमजोर मिली थी. तब उनके लिए रेमेडियल क्लास लगाने की बात कही गई थी. एक निश्चित कार्यक्रम बनाकर विद्यार्थियों को तैयारी कराने का दावा है. लेकिन अर्धवार्षिक परीक्षा के नतीजे बता रहे हैं कि रेमेडियल क्लास में कुछ खास नहीं रहा. विद्यार्थियों में लर्निंग लॉस की भरपाई आसानी से नहीं हो पाई है. इसके लिए अभी भी मेहनत करने की जरूरत महसूस की जा रही है.