दुर्ग:कोरोना का नाम सुनकर अच्छे-अच्छों के शरीर में सिहरन दौड़ जा रही है. इतना ही नहीं यदि किसी के घर की गेट पर कोविड-19 का बैनर लगा हुआ होता है, तो वहां से लोग दूरी बनाकर जा रहे हैं. ऐसे में हमारी स्वच्छता दीदियां अपनी जान जोखिम में डालकर शहर में सफाई की काम कर रही हैं. कोरोना संक्रमितों के घर से कचरे का भी उठाव कर रही हैं. लेकिन इन दीदियों को न तो ग्लव्स दिया गया है और न ही मास्क. ये बिना ग्लव्स के ही कचरे का उठाव कर रही हैं. जिससे उनके संक्रमित होने का खतरा और अधिक बढ़ जाता है. हालांकि निगम प्रशासन यह दावा कर रहा है कि स्वच्छता दीदियों को दस्ताना, मास्क और सैनिटाइजर दिया जाता है, लेकिन जमीनी स्तर पर निगम के सारे दावे फेल नजर आ रहे हैं.
दुर्ग में चारों निगम में हैं 1500 से अधिक सफाई कर्मचारी
छत्तीसगढ़ में रायपुर के बाद दुर्ग जिला कोरोना के मामले में हॉट स्पॉट बना हुआ है. जिले में हर रोज 1500 से अधिक नए संक्रमित मरीज मिल रहे हैं. यहां कोई ऐसा इलाका नहीं बचा होगा, जहां संक्रमित मरीज न मिले हों. इसके बावजूद स्वच्छता दीदियां अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहीं हैं. वे रोजाना सुबह लोगों के घरों से कचरे का उठाव करती हैं. दुर्ग के चारों निगम क्षेत्रों में 1500 से अधिक स्वच्छता दीदियां हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी को लेकर अधिकारी खामोशी से काम चला रहे हैं.
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खुद के पैसे से खरीद रही मास्क
टाउनशिप इलाके की सफाई में जुटी स्वच्छता दीदी ने बताया कि आपदा के दौर में अपना दायित्व निभाना जरूरी है. अगर वे ही पीछे हट जाएंगी, तो कोरोना महामारी से कैसे निपटा जा सकता है. हलांकि उन्होंने सुविधाओं के नाम पर अपने ठेकेदार पर जरूर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि ग्लव्स की बात तो छोड़िए, उन्हें मास्क भी नसीब नहीं हो रहा. जो मास्क पहनी हैं, वह खुद के पैसों से खरीदा हुआ होता है. वहीं रिसाली निगम क्षेत्र की स्वच्छता दीदी ने कहा कि उन्हें भी खुद मास्क खरीदकर पहनना पड़ता है. बड़े अधिकारी केवल कहते हैं, लेकिन ठेकेदार उन्हें कुछ नहीं देता है.
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