दुर्ग:होली से पहले होलिका दहन की परंपरा है. देश के हर कोने में होलिका दहन किया जाता है. लेकिन जिले का एक गांव ऐसा भी है, जहां ये परंपरा नहीं निभाई जाती है. पाटन ब्लॉक के गोंड़पेंड्री गांव के लोग आखिर क्यों इस परंपरा को नहीं निभाते हैं ? ऐसी क्या वजह है जिसकी वजह से इस गांव में होलिका दहन बंद कर दिया गया ?
गोंडपेंड्री गांव में नहीं होता होलिका दहन
दुर्ग जिला मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर गोंड़पेंड्री गांव है. कहा जाता है कि गांव में सालों पहले दो समुदायों के बीच जमकर लड़ाई हुई थी. उसके बाद से लेकर अब तक गांव में होलिका दहन नहीं हुआ है. गांव वालों की मानें तो होली त्योहार में बाकी गांवों की तरह इस गांव में कोई खास माहौल नहीं रहता. यहां केवल सन्नाटा पसरा रहता है.
बुजुर्गों ने होलिका दहन नहीं करने का लिया फैसला
गांव के राधेश्याम साहू बताते हैं कि लगभग 35 साल पहले होलिका दहन पर बड़े-बुजुर्गों का काफी विवाद हुआ था. मामला मारपीट तक पहुंच गया था. उसके बाद गांव के बुजुर्गों ने होलिका दहन नहीं करने का फैसला लिया. उस फैसले के बाद आज तक गांव में होलिका दहन नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि इस फैसले का स्वागत गांव के तमाम लोगों ने किया है. उसका पालन आज भी गांव के युवा करते आ रहे हैं.