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हॉकी खिलाड़ियों की मांग: 'एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम मिला तो बेहतर खेलेंगे'

दुर्ग जिले के हॉकी खिलाड़ियों ने टर्फ स्टेडियम की मांग की है. खिलाड़ियों का कहना है कि टर्फ स्टेडियम मिलने से वे और भी बेहतर खेल सकेंगे और देश का नाम रोशन कर सकेंगे.

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Published : Feb 4, 2021, 2:53 PM IST

Updated : Feb 4, 2021, 4:32 PM IST

Hockey players demand Astroturf Stadium in durg district
हॉकी खिलाड़ियों ने एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम की मांग की

दुर्ग: लंबे समय के बाद जिले के हॉकी खिलाड़ियों को एक स्थाई ग्राउंड मिला है. हर रोज करीब 2 सौ से ढाई सौ बच्चे यहां आकर हॉकी की प्रैक्टिस करते हैं. लेकिन सिर्फ मिट्टी का मैदान होने के कारण खिलाड़ी यहां अच्छे से हॉकी की प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं. स्टेट खेल चुके कई हॉकी खिलाड़ियों ने एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम की मांग की है. जिले के मेयर ने भी अगले सत्र तक खिलाड़ियों को एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम की सौगात देने का आश्वासन दिया.

एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम

पिछले कई सालों से जिले के 200 से ढाई सौ हॉकी खिलाड़ी इस खेल में अपना करियर बनाने में जुटे हुए हैं. लेकिन इन खिलाड़ियों को धूल और मिट्टी के ग्राउंड में ही प्रैक्टिस करना पड़ रहा है. स्टेट और नेशनल खेल चुके खिलाड़ियों का कहना है कि अगर उन्हें टर्फ मिलेगा तो वे इंटरनेशनल जरूर खेलेंगे.

हॉकी प्लेयर्स ने की टर्फ स्टेडियम की मांग

एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम से और बेहतर होगी प्रैक्टिस

हॉकी प्लेयर्स ने बताया कि पहले वे सुराना कॉलेज के मुरुम वाले मैदान में हॉकी की प्रैक्टिस करते थे. वहां ठीक से प्रैक्टिस नहीं हो पाती थी. कई बार ये खिलाड़ी मैदान के लिए नगर सरकार से मिले. नगर निगम ने हॉकी खिलाड़ियों को प्रैक्टिस के लिए सिविल लाइन में एक अस्थायी ग्राउंड का चयन किया है. जहां रोजाना 300 से 400 बॉयस व गर्ल्स हॉकी खिलाड़ी प्रेक्टिस करने आते हैं. आने वाले समय में इस अस्थायी ग्राउंड पर एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम बनाने की तैयारी की जा रही है.

टर्फ ग्राउंड और संसाधनों की कमी

दुर्ग के हॉकी खिलाड़ी

ETV भारत से हॉकी प्लेयर्स ने बात की. उन्होंने बताया कि साल 2015 से वे हॉकी खेल रहे हैं. लेकिन वैसी प्रैक्टिस नहीं हो पा रही है जैसी होनी चाहिए. टर्फ ग्राउंड नहीं होने और संसाधनों की कमी से खिलाड़ियों को खेलने में काफी दिक्कत भी हो रही है. खिलाड़ियों ने बताया कि जब वे नेशनल खेलने जाते हैं तो वहां टर्फ स्टेडियम और अच्छे कोच होने के कारण उनकी प्रैक्टिस अच्छी होती है. उन्होंने कहा कि इनके पास ना तो टर्फ है ना ही संसाधन. प्लेयर्स ने बताया कि अगर उन्हें अच्छा संसाधन मिलता है तो वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम ऊंचा करेंगे.

मेयर ने अगले सत्र तक टर्फ स्टेडियम बनने का किया दावा

ETV भारत की टीम जब हॉकी प्लेयर्स से मिलने पहुंची तो दुर्ग महापौर धीरज बाकलीवाल और अन्य जनप्रतिनिधि भी वहां पहुंच गए और खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाने लगे. इस दौरान मेयर भी अपने आप को नहीं रोक पाएं और हॉकी में हाथ आजमाया. मेयर ने कहा कि प्रदेश सरकार से टर्फ स्टेडियम के लिए मांग की गई है.आने वाले सत्र में स्टेडियम बनकर तैयार होने का भी दावा किया.

20 साल में भी नहीं मिला जिले को टर्फ स्टेडियम

छत्तीसगढ़ बने 20 साल हो गए. लेकिन दुर्ग जिले के हॉकी खिलाड़ियों को एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम नहीं मिल पाया. अब देखना होगा कि राज्य सरकार दुर्ग के हॉकी खिलाड़ियों को एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम की सौगात देती है या फिर हॉकी खिलाड़ी घूलयुक्त मैदान में ही अपनी प्रैक्टिस करते हैं.

भारतीय टीम के कप्तान के रूप में दुर्ग की सबा अंजुम हॉकी खेल चुकी हैं. उन्हें पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी उन्हें पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित कर चुके हैं. सबा को साल 2013 में अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. सबा एशियाई खेल 2002, एशिया कप 2004, राष्ट्रमंडल खेल 2002 और 2006 में खेल चुकी हैं.

Last Updated : Feb 4, 2021, 4:32 PM IST

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