दुर्ग: छत्तीसगढ़ में सालों से हत्या, लूट, बम खोजने संबंधित घटनाओं की जांच के लिए डॉग स्क्वॉड लगाए जाते हैं. वहीं अब इनकी मदद गांजा, अफीम समेत अन्य नशीले पदार्थों की तस्करी करने वाले आरोपियों को पकड़ने में भी की जाएगी. छत्तीसगढ़ में पहली बार डॉग स्क्वॉड (dog squad) को इसकी ट्रेनिंग दी जाएगी. भिलाई स्थित श्वान प्रशिक्षण केंद्र (Dog Training centre in Bhilai) में खोजी कुत्तों (Detection dog) को पहली बार नारकोटिक्स और रेस्क्यू की ट्रेनिंग (narcotics and rescue training दी जाएगी.
नारकोटिक्स और रेस्क्यू की ट्रेनिंग
भिलाई के नेहरू नगर स्थित सीएएफ 7वीं वाहिनी के श्वान प्रशिक्षण केंद्र (Dog Training centre in Bhilai) में खोजी कुत्तों को पहली बार नारकोटिक्स और रेस्क्यू की ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके पहले यहां पर सिर्फ स्नीफिंग और ट्रैकिंग की ही ट्रेनिंग दी जाती थी. प्लाटून कमांडर और श्वान प्रशिक्षण केंद्र के प्रभारी सुरेश सिंह कुशवाहा ने बताया कि हाल ही में यहां बेल्जियम शेफर्ड नस्ल के 10 बच्चों का जन्म हुआ है. इसके अलावा लेबराडोर नस्ल के तीन बच्चे दान में मिले हैं. इनमें से 2 कुत्तों को नारकोटिक्स की ट्रेनिंग दी जाएगी.
इससे पहले यहां स्नीफिंग में विस्फोटक, बारूद और अन्य सामान खोजने का काम करते हैं. वहीं ट्रैकिंग में चोरी, हत्या और लूट के संदिग्धों तक पहुंचने की ट्रेनिंग दी जा रही थी, लेकिन पहली बार डॉग्स को नारकोटिक्स और रेस्क्यू की ट्रेनिंग दी जाएगी. डॉग्स को चरस, ब्राउन शुगर, हेरोइन, अफीम और गांजा जैसे नशीले पदार्थों को सूंघकर खोजने की ट्रेनिंग दी जाएगी. वहीं रेस्क्यू में मलबे या सामान के ढेर के नीचे दबे लोगों को खोजना भी सिखाया जाएगा.
514 बम और 384 केस का पता लगा चुके हैं प्रशिक्षित कुत्ते
श्वान प्रशिक्षण केंद्र के प्रभारी सुरेश सिंह कुशवाहा ने बताया 88 डॉग प्रदेश के विभिन्न जिलों में पदस्थ हैं. प्रदेश में डॉग स्क्वायड ने 514 बम का पता लगाया है. जबकि मर्डर, चोरी, लूट जैसे करीब 384 केसेस का पर्दाफाश डॉग स्क्वायड की टीम कर चुकी है. इसके अलावा हर माह लगातार 4 से 6 केस को डॉग स्क्वॉड की टीम सॉल्व्ड कर रही है.
सुरेश सिंह कुशवाहा ने बताया कि 16 श्वान अगले डेढ़ साल के भीतर सेवानिवृत्त हो जाएंगे. तब तक दान में मिले और जन्मे बच्चों का प्रशिक्षण पूरा किया जाएगा और वह खाली हुए जिलों में पदस्थ कर दिए जाएंगे.