दुर्ग : कहते हैं बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं,उन्हें जिस रूप में ढालेंगे वो उसी रूप में ढल जाएंगे. इस वाक्य को सही साबित कर रहा है दुर्ग जिले का पुरई गांव.इस गांव में एक डोंगिहा तालाब है. जिसमें गांव के बच्चे तैराकी का हुनर सीखते हैं.इस तालाब में तैराकी सीखकर कई बच्चों ने जिले का नाम रौशन किया है. आज यहां से तैराकी सीखकर कई बच्चे राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अपनी तैराकी का लोहा मनवा चुके हैं.लेकिन इन दिनों पुरई गांव का ये तालाब एक नन्हीं जलपरी की मेहनत के लिए मशहूर हो रहा है.जो आने वाले दिनों में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही है.
नन्ही जलपरी कर रही मेहनत : पुरई गांव का डोंगिहा तालाब एक छोटी बच्ची के लिए कर्मभूमि बन चुका है. बच्ची का नाम तनुश्री कोसरे है. जिसकी उम्र महज नौ साल है. नौ साल की तनुश्री कोसरे आगामी आठ अक्टूबर को होने वाले वर्ल्ड रिकॉर्ड की तैयारियों में मशगूल है.रोजाना सुबह तनुश्री अपने घर से स्वीमिंग कॉस्ट्यूम पहनकर तालाब में प्रैक्टिस के लिए निकलती है.हर कोई तनुश्री को रास्ते में देखकर उसका हौंसला बढ़ाता है. तनुश्री अपने कोच ओम कुमार ओझा और माता पिता का आशीर्वाद लेकर तालाब में उतरती है.
सफलता के लिए चार सालों की कड़ी मेहनत :जब तनुश्री कोसरे तालाब में तैरती है तो उसे देखकर लगता है मानो को सुंदर सी जलपरी प्राचीन काल की कहानियों से निकलकर सामने आ गई हो.तनुश्री की उम्र भले ही कम है.लेकिन तैराकी में उसकी समझ अच्छे-अच्छों को पीछे छोड़ देती है.तनुश्री की माने तो वो वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए पिछले चार सालों से हर सुबह इसी तरह से मेहनत करती है.अब आगामी आठ अक्टूबर के दिन तनुश्री कोसरे अपने मेहनत की परीक्षा देने तालाब में उतरेगी.इससे पहले आखिरी समय में तनुश्री रोजाना 6 से 8 घंटे डोंगिहा तालाब में मेहनत कर रही है. तनुश्री को उम्मीद है कि वो वर्ल्ड रिकॉर्ड जरुर बनाएगी.