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दुर्ग की कल्याणम स्व-सहायता समूह का कमाल, गाय के गोबर से बनाया ईको फ्रेंडली दीया, दिल्ली और तेलंगाना से मिले ऑर्डर - दुर्ग में बन रहे गाय को गोबर से दीये

cow dung lamps दुर्ग की कल्याणम स्व सहायता समूह की महिलाएं गाय के गोबर से दीये बना रही हैं. गाय के गोबर से बने दीयों की डिमांड दूसरे राज्यों से इतनी ज्यादा मिल रही है कि डिमांड को पूरा करने के लिए स्व-सहायता समूह की महिलाओं को दिन रात मेहतन करनी पड़ रही है. लोग भी पवित्र गाय के गोबर से बने दीयों को काफी पंसद कर रहे हैं

cow dung Lamps made in Durg
दुर्ग की कल्याणम स्व-सहायता का कमाल

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 4, 2023, 7:58 PM IST

Updated : Nov 4, 2023, 11:43 PM IST

दुर्ग हर्बल दीपावली के संदेश को कर रहा रौशन

दुर्ग: इस्पात नगरी के नाम से पहचाने जाने वाले दुर्ग शहर में इस बार दीपावली के लिए खास दीए बनाए जा रहे हैं. कल्याण स्व सहायता समूह की महिलाएं इस बार आपको घरों को रोशन के लिए गाय के गोबर से बने खास दीए तैयार कर रही हैं. इन दीयों को गाय के गोबर और मुल्तानी मिट्टी से बनाया जा रहा है. खास बात ये है कि ये दीए पूरी तरह से ईको फ्रेंडली हैं, यानि ये दीए न तो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएंगे नहीं आपकी सेहत को खराब करेंगे

गाय के गोबर से बने दीये: हिंदू धर्म में गाय और गोबर दोनों को काफी पवित्र माना गया है. मान्यता है कि जहां गाय और गोबर का वास होता है मां लक्ष्मी वहीं विराजती है. इसी बात को ध्यान में रखकर दुर्ग की कल्याणम स्व सहायता समूह ने गाय के गोबर से बने दीए बनाए हैं जो लोगों को खूब पसंद भी आ रहे हैं.

गोबर से बने दीयों की भारी डिमांड: स्व सहायता समूह जुड़ी महिलाओं का कहना है कि लोकल मार्केट में तो इन दीयों की उतनी डिमांड नहीं है लेकिन बाहर के राज्यों में इन दीयों की भारी डिमांड है. पड़ोसी राज्य तेलंगाना, दिल्ली और राजस्थान में इन गाय के गोबर से बने दीए की इतनी डिमांड है कि वो दिन रात मेहनत करने के बाद भी उसे पूरा नहीं कर पा रही हैं.

लोकल फॉर वोकल:दीपावली के बाजार में हर साल चीन के बने सामानों की भरमार होती है, चाहे मिट्टी के बने दीये हों या फिर चीनी लाइटें. लेकिन इस बार चीनी दीयों को टक्कर देने के लिए दुर्ग की कल्याणम स्व सहायता समूह की महिलाओं ने गोबर से बने दीये बाजार में उतार दिए हैं. छत्तीसगढ़ के बाजारों में भले ही अभी इन दीयों की उतनी डिमांड नहीं है लेकिन जैसे जैसे लोग इस ईको फ्रेडली दीए का फायदा और महत्व समझ रहे है वैसे वैसे इनकी मांग भी बढ़ती जा रही है. ये महिलाएं गाय को गोबर से सिर्फ दीए ही नहीं बल्कि मूर्तियां शुभ लाभ जैसे मंगल निशान भी बना रही हैं.

पवित्र और ईको फ्रेंडली दीयों की मांग: कल्याणम स्व-सहायता समूह की महिलाएं दिन रात मेहनत कर दीयों को बनाने में जुटी है ताकि दूसरे राज्यों से जो आर्डर उनको मिले हैं उसे पूरा किया जा सके. पहले जहां ये 10 से 50 हजार दीए ही बनाने की सोच रही थी वहीं लगातार बढ़ रहे डिमांड के बाद ये महिलाएं अब डेढ़ लाख से ज्यादा दीये बनाने का टारगेट लेकर काम कर रही हैं.

Last Updated : Nov 4, 2023, 11:43 PM IST

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