दुर्ग:छत्तीसगढ़ में कोरोना (Corona pandemic) की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है. हालात यह हैं कि मरीजों को अस्पताल में बेड नहीं मिल पा रहे हैं. छत्तीसगढ़ सरकार लाखों-करोड़ों खर्च कर नए कोविड केयर सेंटर इजात करने में जुटी है. वहीं दूसरी ओर रेलवे (railway) के आइसोलेशन कोच (isolation coach) रेलवे यार्ड (railway yard) में धूल फांक रहे हैं. सरकार ऐसे में रेलवे के आइसोलेशन कोच बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों में कारगर हो सकते हैं.
105 कोच को बनाया गया था आइसोलेशन वार्ड
कोरोना काल में पिछले साल संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए रेलवे ने ट्रेन के डिब्बों को आइसोलेशन कोच में बदला था. हालांकि उस समय इन आइसोलेशन कोच का उपयोग नहीं हो पाया था. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, रायपुर और बिलासपुर डिवीजन में 105 आइसोलेशन कोच बनाए गए थे. पिछले एक वर्ष से इन कोचों पर धूल जमी हुई है. दुर्ग के मरोदा यार्ड में 50 डिब्बों में 400 बेड बनाए गए थे. इनको बनाने में करीब दो लाख रुपए प्रति कोच खर्च किए गए थे, लेकिन अब तक इन आइसोलेशन कोच में एक भी कोरोना मरीजों को भर्ती नहीं किया गया है. जानकारी के मुताबिक ऐसे और कोच बिलासपुर में भी खड़े किए गए हैं. इसके बावजूद राज्य सरकार इसका उपयोग नहीं कर पा रही है. यदि 105 आइसोलेशन कोच की बात की जाए तो 900 से ज्यादा बेड खाली पड़े हैं. जिसे सरकार उपयोग नहीं कर पा रही है. पिछले एक साल से आइसोलेशन ट्रेन के कोच खड़े-खड़े कबाड़ हो रहे हैं.
सभी सुविधाओं से लैस आइसोलेशन कोच
रेलवे प्रशासन ने कोरोना मरीजों के लिए हर कोच में 8 बेड की व्यवस्था है, जिसे जरूरत पड़ने पर 16 बेडों में बदला जा सकता है. नॉन एसी डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड में बदला गया है. इसके लिए मिडल बर्थ को निकालकर कोच के हर कंपार्ट्मेंट को अस्पताल के प्राइवेट रूम की तरह बनाया गया है. चिकित्सकों के दिशा निर्देशों अनुसार इसे तैयार किया गया है. कोच के एक टॉइलेट को बाथरूम में परिवर्तित किया गया है. कोच के अंदर संक्रमण रोकने के लिए प्लास्टिक के पर्दे लगाए हैं. मोबाइल चार्जिंग पॉइंट्स उपलब्ध हैं. प्रत्येक कैबिन में मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलेण्डर भी लगाए गए हैं. करोड़ों की लागत से ये कोच तैयार किए गए हैं. कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए ये कोच आइसोलेशन के तौर पर उपयोग हो सकते हैं.