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मातृभाषा में शिक्षा देना बच्चों का बढ़ाता है आत्मविश्वास : CM भूपेश बघेल - नींव और भाषा पिटारा कार्यक्रम

प्रदेश में स्कूली बच्चों के शिक्षा स्तर को सुधारने के लिए शिक्षा विभाग और लैंग्वेज एंड लर्निंग फाउंडेशन ने एक पहल की शुरुआत की (नींव और भाषा पिटारा) है, जिसका मुख्यमंत्री भुपेश बघेल ने शुभारंभ किया और कहा कि मातृभाषा में शिक्षा देना बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाता है.

स्कूली बच्चों के साथ रुबरू हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

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Published : Sep 19, 2019, 7:56 PM IST

Updated : Sep 19, 2019, 9:48 PM IST

दुर्ग: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भिलाई के वैशाली नगर स्थित शासकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय में स्कूली बच्चों के कार्यक्रम में शिरकत की और वहां शिक्षा विभाग और लैंग्वेज एंड लर्निंग फाउंडेशन की पहल 'नींव और भाषा पिटारा' कार्यक्रम का शुभारंभ किया.

'नींव और भाषा पिटारा' कार्यक्रम का शुभारंभ

CM ने बच्चों को पारंपरिक भौंरा चलाना सिखाया
प्राथमिक स्कूल के बच्चों से मुखातिब होते हुए CM ने उनसे ढेर सारी बातें की इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेल भौंरा (लट्टू) चलाना भी बच्चों की सिखाया और उसकी कहानी भी सुनाई. उन्होंने बच्चों को नैतिकता और स्कूली पाठ्यक्रम का पाठ भी पढ़ाया. बच्चों के बीच बच्चा बनकर सीएम ने अपनी बचपन की यादों को भी ताजा किया.

मातृभाषा में शिक्षा देना बच्चों का बढ़ाता है आत्मविश्वास
मुख्यमंत्री ने अपने उद्बोधन में बताया कि, बच्चों के विकास के लिए मातृभाषा में शिक्षा देना बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाता है.

  • उन्होंने बच्चों के बीच भौरा चलाने के समय बच्चे से हुई बातचीत को साझा करते हुए कहा कि, 'जब मैं बच्चों के बीच भौरा चला रहा था, तो उन बच्चों को बताया कि इसे भौरा कहते हैं. उसी बीच एक बच्चे ने मुझे टोकते हुए कहा कि इसे भौरा नही लट्टू कहते हैं.'
  • मुख्यमंत्री ने कहा, 'एक छोटे से बच्चे के द्वारा मुख्यमंत्री को इस प्रकार की प्रतिक्रिया देना यह साबित करता है कि उसे उसकी मातृभाषा पर बहुत ही आत्मविश्वास है. जिसके चलते वह प्रदेश के मुख्यमंत्री तक को आसानी से जवाब दे सकता है.'

कार्यक्रम के माध्यम से होगा शिक्षा में सुधार

  • मुख्यमंत्री ने बताया कि, दुर्ग जिले में 200 स्कूलों में इस कार्यक्रम के माध्यम से शिक्षा में सुधार करने का प्रयास किया जा रहा है.
  • उन्होंने कहा कि, 'नींव और भाषा पिटारा' कार्यक्रम के तहत आने वाले दिनों में बच्चों की शिक्षा में सुधार होगा और जिसके परिणाम भी सामने आते दिखेंगे.'
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि, 'छग शिक्षा विभाग ने यह कार्य शुरू किया है और इस दिशा में काम किया गया है. भाषा पिटारा वो है जिसमें अलग-अलग बोली होगी. जैसे सरगुजा, बस्तर, मैदानी इलाके के बच्चों को उनकी ही भाषाओं में सीखाने का काम शुरू किया गया है.'
Last Updated : Sep 19, 2019, 9:48 PM IST

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