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दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा भिलाई का अयांश, इलाज के लिए 22 करोड़ रुपये के एक इंजेक्शन की जरूरत

छत्तीसगढ़ के भिलाई का रहने वाला ढाई साल का अयांश पिछले कई महीनों से हैदराबाद के एक अस्पताल में जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहा है. बिलासपुर की सृष्टि और मुंबई की तीरा कामत की तरह ही अयांश भी स्पाइनल मस्कुलर एट्राफी (SMA) टाइप-1 नाम की बीमारी से जूझ रहा है.

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दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा भिलाई का ढाई साल का अयांश

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Published : Mar 15, 2021, 9:54 PM IST

दुर्ग/भिलाई: छत्तीसगढ़ के भिलाई का रहने वाला ढाई साल का अयांश पिछले कई महीनों से हैदराबाद के एक अस्पताल में जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहा है. उसे एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसके इलाज के लिए पूरी दुनिया में सिर्फ एक ही दवा है और उस दवा की कीमत 16 करोड़ रुपये है. यदि उसे खरीद कर भारत लाया भी जाए तो टैक्स के साथ इसकी कीमत 22 करोड़ रुपये हो जाती है. ऐसे में एक मध्यम वर्गीय परिवार के लिए इतनी बड़ी रकम जुटा पाना असंभव है, लेकिन अयांश के पिता योगेश गुप्ता को अपने देशवासियों पर भरोसा है. उनका मानना है कि अयांश सिर्फ उनका बेटा नहीं, बल्कि देश का बेटा है. उन्हें उम्मीद है कि देशवासी उनकी मदद जरूर करेंगे.

दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा भिलाई का अयांश

जिन बच्चों को SMA बीमारी होती है, उनके दिमाग के नर्व सेल्स और स्पाइनल कार्ड काम नहीं करते हैं यानी दिमाग तक वो सिग्‍नल नहीं पहुंचता है, जिससे मांसपेशियों को कंट्रोल किया जा सके. ऐसे बच्चे बिना मदद के चल-फिर नहीं सकते हैं. ढाई साल के अयांश के साथ भी चलने-फिरने के साथ ही उठने-बैठने की भी समस्या है. वह खाना भी चबा नहीं सकता. सांस लेने में दिक्कत होती है. पिता योगेश गुप्ता के मुताबिक जब बेटा 13 महीने का हुआ, तब इस बीमारी का ठीक से पता चला

अयांश को स्पाइरल मस्कुरल एट्राफी (SMA) टाइप-1 नामक दुर्लभ बीमारी

अयांश के पिता योगेश गुप्ता बताते हैं कि उनकी इकलौती संतान अयांश को स्पाइरल मस्कुरल एट्राफी 1 नामक दुर्लभ बीमारी है. इस गंभीर बीमारी की वजह से उसका शरीर काम नहीं कर रहा है. उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने कहा है कि अयांश एक इंजेक्शन से ठीक हो सकता है, लेकिन वह इंजेक्शन अमेरिका में मिलता है. जिसकी कीमत 16 करोड़ रुपये है. उस इंजेक्शन से ही अयांश को बचाया जा सकता है.

दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा भिलाई काअयांश

13 माह बाद इस बीमारी के बारे में हुई जानकारी

अयांश के पिता योगेश बताते हैं कि अयांश जब 6 माह का था उसी समय उसका शरीर काम नहीं कर रहा था. बहुत से डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन कुछ समझ नहीं आया. इसके बाद जब अयांश 13 माह का हुआ तब हमें इस बीमारी की जानकारी हुई. वर्तमान में अयांश का इलाज हैदराबाद के निजी अस्पताल में चल रहा है. जहां रोजाना उसे ऑक्सीजन दिया जाता है. ऑक्सीजन के सहारे ही अयांश की जिंदगी चल रही है.

दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा भिलाई काअयांश

छत्तीसगढ़ की 'तीरा': सृष्टि को बचाने 22 करोड़ रुपये की जरूरत

क्राउड फंडिंग के जरिए मदद की अपील

अयांश के पिता बताते हैं कि 22 करोड़ रुपए छोटी रकम नहीं होती. यह बहुत बड़ी रकम है. इसके लिए वे आम लोगों के बीच जा रहे हैं. लोगों से मदद की गुहार लगा रहे हैं. इसके साथ-साथ क्राउडफंडिंग भी कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने एक वेबसाइट भी बनाई है. जिसमें अयांश की तस्वीर, बीमारी से संबंधित डॉक्टरों की ओर से दिए गए दस्तावेज वेबसाइट में अपलोड की गई है.

अब तक 3 करोड़ रुपए की मिली मदद

अयांश के नाम से उनके पिता ने एक वेबसाइट बनाई है. इसमें अब तक 10 हजार से अधिक लोगों ने अयांश को बचाने के लिए सहयोग राशि दी है. अयांश के पिता ने ETV भारत को बताया कि 39 दिनों में इस वेबसाइट के जरिए 3 करोड़ 20 लाख रुपए प्राप्त हो चुके हैं. उन्होंने ETV भारत के माध्यम से देशवासियों से भी अपील की है कि उनके बेटे की मदद के लिए लोग आर्थिक सहायता करें.

SPECIAL: क्राउडफंडिंग के जरिये जरूरतमंदों को मिल रही मदद

जीन थेरेपी से मिलेगी दोबारा जिंदगी

हैदराबाद के पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. रमेश कोनानकी कहते हैं कि अयांश की बीमारी का इलाज इंडिया में नहीं है. अमेरिका में ढाई वर्ष पहले ही इसके इलाज की तीन थेरेपी ढूंढी गई है. इसमें से एक जीन थेरेपी से अयांश को जिंदगी मिल सकती है, लेकिन इसकी कीमत 16 करोड़ है. विदेशों से लाने पर करीब 6 करोड़ का टैक्स भी लगेगा. उन्होंने कहा कि हम सबकी मदद से अयांश को बचाया जा सकता है. अभी वह वेंटिलेटर पर नहीं गया है. डे केयर में ही उसका इलाज चल रहा है. इस कंडीशन में यह इंजेक्शन लग जाए तो वह बीमारी से उबर सकता है.

बच्चे की देखभाल के लिए मां को छोड़नी पड़ी नौकरी

अयांश की मां रूपल गुप्ता हैदराबाद में एक IT कंपनी में काम करती थीं. उन्होंने बच्चे की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ दी है. अयांश के पिता योगेश भी हैदराबाद में ही प्राइवेट नौकरी करते हैं. दोनों मूल रूप से छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के रहनेवाले हैं. अयांश का इलाज हैदराबाद के ही एक निजी अस्पताल में चल रहा है. फिलहाल बच्चे को वेंटिलेटर की जरूरत नहीं पड़ रही है.

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भारत में कई मामले

भारत में स्पाइनल मस्कुलर एट्राफी (SMA) टाइप 1 बीमारी के कई मामले सामने आ चुके हैं. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की सृष्टि 14 महीने से इस बीमारी से जूझ रही है. सृष्टि के पिता भी क्राउड फंडिंग के जरिए इंजेक्शन खरीदने के लिए लोगों से मदद मांगी है. मुंबई की तीरा कामत नाम की बच्ची भी इस बीमारी से पीड़ित है. इंजेक्शन में लगने वाले आयात कर में छूट की मांग तीरा के परिजनों ने की थी. जिसके बाद मोदी सरकार ने विदेश से आने वाले इंजेक्शन को टैक्स से छूट दे दी थी. इंजेक्शन काफी महंगा होने के चलते इसे लगवाना हर किसी के बस की बात नहीं है. लोग क्राउड फंडिंग के जरिए मदद ले रहे हैं.

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