दुर्ग: कोरोना महामारी (Corona) को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन (Lockdown) ने शिक्षा और उससे जुड़े लोगों पर बुरी तरह प्रभाव डाला है. निजी स्कूल (Private school) आर्थिक रूप से कमजोर हो रहे हैं. हालात ये है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गृह जिले दुर्ग (Chief Minister Bhupesh Baghel home district Durg) में स्कूल शिक्षा विभाग (school education department) की कमर पूरी तरह टूटती हुई दिखाई दे रही है. जिले के कई निजी स्कूल बंद होने की कगार पर हैं. 46 निजी स्कूल संचालकों ने तो तालाबंदी के लिए बाकायदा आवेदन दिया है. इतनी बड़ी संख्या में स्कूल बंद होने से हजारों शिक्षकों के साथ ही छात्रों के भविष्य पर संकट गहराता नजर आ रहा है. जो प्रशासन के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.
लॉकडाउन की वजह से स्कूल संचालकों की टूटी कमर
कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए ना केवल प्रदेश बल्कि देश भर में लॉकडाउन (nationwide lockdown) लगा दिया गया. इस दौरान तमाम स्कूलों को भी बंद करने का आदेश दिया गया. ऐसे में सूबे के सबसे VVIP जिला कहलाने वाले दुर्ग में निजी स्कूल संचालकों (Private school operators in Durg) की आर्थिक स्थिति बुरी तरह खराब हो गई है. भिलाई के बाल मंदिर विद्यालय के संचालक ताराचंद मेश्राम ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से स्कूल बंद करने का आदेश आया था. उसके बाद स्कूल बंद कर दिए गए थे. पालक फीस भी नहीं दे रहे थे. ऐसे में शिक्षकों को सैलरी देना बेहद मुश्किल हो गया था. फिर हमने इसे बंद करने का निर्णय लिया. उन्होंने बताया कि स्कूल की नींव उन्होंने 1982 में रखी थी, जहां नर्सरी से लेकर 8 वीं तक की कक्षाएं संचालित हो रही थी.
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शिक्षकों के वेतन और स्कूल मेंटेनेंस में हो रही थी परेशानी
गायत्री विद्या निकेतन स्कूल (Vidya Niketan School) के संचालक महेश कुमार ने ETV भारत की टीम से स्कूल संचालन में हो रही परेशानी के बारे में बताया. वे कहते हैं कि लॉकडाउन की वजह से स्कूल पूरी तरह बंद रहे. स्कूल बंद होने से पालक भी फीस नहीं दे रहे हैं. ऊपर से शिक्षा विभाग के नियम (education department rules) भी स्ट्रिक्ट हो गए हैं. ऐसे में शिक्षकों को वेतन दे पाना और स्कूल का मेंटेनेंस करना किसी चुनौती से कम नहीं है. यही वजह है स्कूल बंद करने के लिए उन्हें जिला शिक्षा अधिकारी (Durg District Education Officer) को आवेदन करना पड़ा. महेश बताते हैं कि वे 10 साल से इस स्कूल का संचालन कर रहे थे. स्कूल में 8 वीं तक की कक्षाएं संचालित हो रही थी.