दुर्ग: छत्तीसगढ़ में कोरोना का कहर जारी है. संक्रमितों के साथ ही मौत का आंकड़ा भी बढ़ रहा है. इस महामारी से लोगों को बचाने के लिए फ्रंटलाइन वर्कर्स दिन-रात काम कर रहे हैं. इस दौरान उन लोगों को भुलाया जा रहा है, जो सामने से न सही लेकिन इस बीमारी से लड़ने में अप्रत्यक्ष तरीके से बड़ा योगदान दे रहे हैं. प्रदेश के 54 विभागों से अब तक 689 कर्मचारियों की मौत कोरोना से हुई है. हैरानी की बात तो यह है कि इन आंकड़ों में सबसे अधिक मौतें स्कूल शिक्षा विभाग की हैं.
एक साल में कोरोना 370 शिक्षकों को निगल चुका है. ये आंकड़े 26 अप्रैल तक के हैं. ये आंकड़े छत्तीसगढ़ सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी किए हैं. इतनी संख्या में शिक्षकों की हो रही मौत चिंता का विषय बनी हुई है. उसके बावजूद शिक्षकों की ड्यूटी कोरोना महमारी की रोकथाम में लगाना बदस्तूर जारी है.
रायपुर में सबसे अधिक शिक्षकों की मौतें
पिछले एक साल में कोरोना से 370 शिक्षकों की मौत हुई है. इनमें भी सबसे ज्यादा 49 शिक्षकों की मौत अकेले रायपुर से हुई है. लगातार शिक्षकों की हो रही मौत के बाद छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन शासन-प्रशासन के रवैये से नाराज है. फेडरेशन शिक्षकों की सुरक्षा के साथ ही मृतक शिक्षकों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग कर रहा है.
पंडरिया ब्लॉक में एक ही दिन में 3 शिक्षकों की कोरोना से मौत
मोहल्ला क्लास से भी संक्रमित हुए शिक्षक
छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के प्रांत अध्यक्ष राजेश चटर्जी ने बताया कि इतनी मौत के बाद भी शिक्षकों की ड्यूटी कोरोना महामारी के बीच लगाई जा रही है. शिक्षकों को इसके बचाव के सुरक्षा साधन के बिना ही ड्यूटी पर भेजा जा रहा है. सूखा राशन बांटने, घर-घर जाकर लोगों को जानकारी देने, कांटेक्ट ट्रेसिंग, वैक्सीन लगवाने समेत शवों की गिनती के लिए भी शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है. चटर्जी ने कहा कि मोहल्ला क्लास से अच्छा था कि स्कूल ही शुरू करवा दिए जाए. क्योंकि इससे अलग-अलग इलाके से बच्चे जुटते हैं, जिससे सबसे ज्यादा संक्रमण का खतरा रहता है.